हे शंखेश्वर पार्श्व जिनेश्वर, अर्जी सुनो हम लायें।
अर्जी सुनो हम लायें
हे शंखेश्वर पार्श्व जिनेश्वर, अर्जी सुनो हम लायें।
अर्जी सुनो हम लायें
कठासु आयो मोती कढासु आयो हिरो
ठा भयो हे म्हारी चंदन बाई रो बीरो
करता हूँ वन्दना मोक्षगामी
रह न जाये कोई मेरी साध स्वामी प्रभु पार्श्व स्वामी
मैं नहीं सुख में कभी तुम्हें याद करता हूं
बस बड़ा भारी यहीं अपराध करता हूँ
( राजस्थानी गीत)
स्थाई
थारों जनन मरण मिट जासी
थाने श्रसु पार लागासी
जीवड़ी आतम पद पा जास
जपलो पारस ने हो ..
अन्तरा
मित उठ दर्शन ककने भावों आवी
पूजा सगला आन रचावों
सामायिक में ध्यान लगावो
जपलों पारस ने ही
थाने जैन धर्म जो प्यारो
करलो सबसु भाई चारों
मन में जीव दया ने धारों
जपलो पारस ने हो
माया लोभ मोह ने त्यागों
होई मोर नींद सु जागो
करले प्रभु नाम री सागों
जपलो पारस ने ही..
केनो युवक मण्डल रो मानों
साथी प्रभु नाम ने जाणी
पारस लागे मन ने भालों
जपलो पारस ने ही…
- Stavan Manjari
है पार्श्व तुम्हारे द्वारे पर एक दर्श भिकारी आया है।
प्रभु दरशन भिक्षा पाने को दो नयन कटोरे लाया है |
नहीं दुनियाँ में कोई मेरा है आफत ने मुझको घेरा है।
एक सहारा तेरा है, जग ने मुझ को ठुकराया |
धन दौलत को कुछ चाह नहीं, घर बार छूटे परवाह नहीं
मेरी इच्छा तेरे दर्शन की, दुनियाँ से चित घबराया है।
मेरी बीच भवर में नैया है, बस तू ही एक खिवैया है।
लाखों को ज्ञान सिखा तुमने भव सिन्धु से पार उतारा है
आपस में प्रेम वा प्रीत नहीं तुम बिन अब हमको चैन नहीं ,
अब तो आकर दर्शन दो गोठी अकुलाया है।
जिन धर्म फैलाने को कर दिया तन मन धन अर्पण
युवक मंडल को अपनाओ, सेवा का भार उठाया है ॥३॥
- Stavan Manjari
तर्ज - यारी हो गई यार से (दो चोर)
टांबरीया धारा आया बाबा भोमियां,
झूमता गांवता २-थारे दरबार में
टांबरीया थांरा...
समकित धारी बाबा के पुकार तो सुनो
देवों राही देव थांरो परचो है घणो 2
झूमता गांवता, २ थारे दरबार में
टांबरीया थांरा...
मधुवन रे कण कण रा स्वामी, हिवड़े बस जावो
भक्तोरा रखवाला स्वामी, म्हाने अपना वो
झूमता गांवता, २ रे दरबार में
टांबरीया थांरा...
लांखोरी सुन, लीनी बाबा म्हारी सुनलीजो
"युवक मंडल" दर्शन को तरसे दर्शन दे दीजो
झूमता गांवता, 2 थांरे दरबार में
टांबरीया थांरा...
तर्ज उड-उडरे-म्हारा कालारे-कागला
सुन सुनरे, सुन सुनरे 2 म्हारा भरत लाडला
कद म्हारो रिष भो घर आसी -कद म्हारो ...
सुन सुनरे...
मां मरुदेवी थांरो रिषभ लाडलो
राज छोड़ गयो कासी
कद म्हारो...
राज पाट और सुख ने छोड्यो
झूठी ममता सुं- मुख मोइयो
राज छोड़ गयो बनवासी
कद म्हारो...
पाल्यो पोस्यो लाड लडायो
हरख कोड़ म्हे घणो मनायो
मां मां कह अब कुण आसी
कद म्हारो...
त्याग तपस्या से फल मोटो
स्वारथ जगत में घणों हो खोटो
पुण्य किवा मुफ्ती पासी
कद म्हारो...
सुख और दुख ने एक हो लान्यो
मां री ममता भी ज पिछाण्यो
राज छोड़ गयो बनवासी
कद म्हारो...
- Stavan Manjari