तुं मने गिरिराज सिद्धि ताज आपी दें
सिद्धाचल थी सिद्धशिला नुं राज आपी दे
तुं मने गिरिराज सिद्धि ताज आपी दें
सिद्धाचल थी सिद्धशिला नुं राज आपी दे…
तुं मने गिरिराज सिद्धि ताज आपी दें
सिद्धाचल थी सिद्धशिला नुं राज आपी दे
तुं मने गिरिराज सिद्धि ताज आपी दें
सिद्धाचल थी सिद्धशिला नुं राज आपी दे…
नेमि नेमि नेम… नेमि नेमि नेम…
जय गिरनारी… जय गिरनारी…
नेमि नेमि नेम… नेमि नेमि नेम…
नेम नेम नेम नेम नेम… हो नेम… हो नेम…
यादो मा ने स्वप्नो मा बस तुं छे दिन रात,
ज्यारे थी भेट्यो तुजने बस एक तारी वात,
तुं दोष संताप टाळे,
तुं भवसागर थी उगारे,
साथ गिरनारनो हाथ नेमनाथनो,
होय जो मस्तके तो शो तोटो,
अन्य स्थाने रही ध्यावे रैवतगिरी,
चोथे भवे पामतो मोक्ष मोटो
राजीमती तमने मनावा नाथ वलवलती हती
तो ये तमे संयमतणा संकल्प थी डग्या नथी
हे सत्वमूर्ति सत्व ए आसत्वहीन ने आपजो
हे नेमिजिन मारा हृदयमां शौर्यरस जन्मावजो… (१)
गिरनारे शोभे देखो नेमजी शामलीया
मुखडुं जोवा ने टमटम, चमके छे तारलीया,
जोवा चमके छे तारलीया, बेठा मलके छे शामलीया,
राजीमती ना, मन वसीया..