तेरे दरबार वो ही फरियाद आती हैं,
जिसकी तु चाहे दादा, पुरी हो जाती है
तेरे दर पे सर झुकाएं मैं भी तो आया हूं,
जिसकी भी बिगड़ी हैं उसकी बन जाती हैं ॥
तेरे दरबार वो ही फरियाद आती हैं,
जिसकी तु चाहे दादा, पुरी हो जाती है
तेरे दर पे सर झुकाएं मैं भी तो आया हूं,
जिसकी भी बिगड़ी हैं उसकी बन जाती हैं ॥
नाकोड़ा के भैरव नाथ
रहते भक्तो के साथ
जिसने प्रेम से लिया भैरव नाम रे
काम कोई भी कर नहीं पाया, घूम लिया संसार में,
आखिर मेरा काम हुवा हैं नाकोड़ा दरबार मे,
दादा, मेरे दादा, मेरे दादा, दादा,
तेरा और मेरा, जन्मो का हैं नाता ।।
शंखेश्वर को नमन करूं, पुजू गोड़ीजी पाय,
नाकोड़ा के दर्शन से, दुःख सकल मिट जाए ।
नाकोड़ा भैरव प्रभु, सुमंधा थारो नाम,
जीवन सफल बनावे जो, सिद्ध सकल हैं धाम ।
हर जनम में भैरव तेरा साथ चाहिए,
सर पे मेरे दादा तेरा हाथ चाहिए ।
सिलसिला ये टूटना नहीं चाहिए,
मेवानगर में पार्श्व प्रभु का द्वारा है,
ऐसा लगता जमी पे स्वर्ग उतारा है,
चारो ओर ही गूंज रहे जयकारे,
दादा तेरी तस्वीर सिरहाने रखकर सोते हैं,
यही सोचकर अपने दोनों नैन भीगोते है,
नाकोड़ा वाले सुन लेना एक सवाल दीवाने का,
अगर समझ में आ जाए, तो भक्तो को समझा देना ।