तेरे दरबार वो ही फरियाद आती हैं,
जिसकी तु चाहे दादा, पुरी हो जाती है
तेरे दर पे सर झुकाएं मैं भी तो आया हूं,
जिसकी भी बिगड़ी हैं उसकी बन जाती हैं ॥
तेरे दरबार वो ही फरियाद आती हैं,
जिसकी तु चाहे दादा, पुरी हो जाती है
तेरे दर पे सर झुकाएं मैं भी तो आया हूं,
जिसकी भी बिगड़ी हैं उसकी बन जाती हैं ॥
मैं नाकोड़ाजी जाऊंगा,
मैं भैरूजी को अपने दिल में बसाऊंगा,
मैं ढोल-मंजीरा लेके, गीत गुण गाऊंगा,
मैं झुमुंगा, मैं भक्ति की धूम मचाऊंगा,
नाकोड़ा के भैरव नाथ
रहते भक्तो के साथ
जिसने प्रेम से लिया भैरव नाम रे
उसके बन जाये हर काम रे
काम कोई भी कर नहीं पाया, घूम लिया संसार में,
आखिर मेरा काम हुवा हैं नाकोड़ा दरबार मे,
दादा, मेरे दादा, मेरे दादा, दादा,
तेरा और मेरा, जन्मो का हैं नाता ।।
शंखेश्वर को नमन करूं, पुजू गोड़ीजी पाय,
नाकोड़ा के दर्शन से, दुःख सकल मिट जाए ।
नाकोड़ा भैरव प्रभु, सुमंधा थारो नाम,
जीवन सफल बनावे जो, सिद्ध सकल हैं धाम ।
हर जनम में भैरव तेरा साथ चाहिए,
सर पे मेरे दादा तेरा हाथ चाहिए ।
सिलसिला ये टूटना नहीं चाहिए,
मुझको तो बस इतनी सी सौगात चाहिए ॥
मेवानगर में पार्श्व प्रभु का द्वारा है,
ऐसा लगता जमी पे स्वर्ग उतारा है,
चारो ओर ही गूंज रहे जयकारे,
आओ प्रभु से मिले...
दादा तेरी तस्वीर सिरहाने रखकर सोते हैं,
यही सोचकर अपने दोनों नैन भीगोते है,
कभी तो तस्वीर से निकलोगे,
कभी तो भेरू दादा पिघलोगे....
नाकोड़ा वाले सुन लेना एक सवाल दीवाने का,
अगर समझ में आ जाए, तो भक्तो को समझा देना ।
हमने अपना नियम निभाया, नाकोड़ा पैदल आने का,
दादा तेरा क्या फ़र्ज़ नहीं भक्तो के घर आने का ॥
श्री संखेश्वर के दर्शन कर पुजू गोडीजी पाय |
श्री नाकोडा से नवनिधि मिले दर्शन से दुःख जाये ||1||
श्री नाकोडा भैरव सुखदायक सुमरू तारु नाम |
जीवन सुखी कर्जो आप सिद्धि समृधि ना नाम ||2||