ओघो छे अणमूलो एनुं खुब जतन करजो,
मोंघी छे मुहपत्ति एवुं रोज रटण करजो ||
ओघो छे अणमूलो…
आ वेश आप्यो तमने अमे एवी श्रध्धाथी,
ओघो छे अणमूलो एनुं खुब जतन करजो,
मोंघी छे मुहपत्ति एवुं रोज रटण करजो ||
ओघो छे अणमूलो…
आ वेश आप्यो तमने अमे एवी श्रध्धाथी,
के आज संयम नु पानेतर पेहरी ने जो
राजुल ने नेम मली जाशे तू जो
राजुल ने नेम मली जाशे
प्रीत ने नवी रीत मली जाशे तू जो
क्यारे बनीश हुं साचो रे संत,
क्यारे थशे मारा भावनो रे अंत
क्यारे बनीश हुं…
लाख चोराशी ना चोरे ने चोटे,
मुमुक्षु बनवुं मारे, प्रभु पंथे चालवा
हो जी रे.. मुमुक्षु बनवुं मारे, प्रभु पंथे चालवा
हो.. प्रभु पंथे चालवा, गुरु आणा माणवा
मुमुक्षु बनवुं…
जिनशासनमां जन्म धरी,
सार्थक कीधो अवतार,
हो जो जय जयकार
दिव्यात्मा तव हो जो जय जयकार
बनवा अणगार करवा भव पार
बनवा अणगार करवा भव पार
तोड्यो जेणे संसार नो बंधन
वैरागी ने वंदन
वंदन तारा चरणमां तुं,
रागी मटी त्यागी पंथे जाय..
श्रमण बनी… नवकार मंत्रमां समाय…
सघळा संसारने भीतरथी विसरी..
चिठ्ठी खोलोने खोलोने चिठ्ठी खोलोने
करजो मंगल काम, देजो पावन नाम
सूरिजी ! मुखथी बोलोने… चिठ्ठी खोलोने…
चिठ्ठी मां शुभ नाम लख्युं छे,
एक कोर उभी माता, पालव पसरावीने,
लोच करजो, गुरूराया, धीरे धीरे, संभाळीने
एक कोर…
मारो बाळ सुकोमळ छे, एना केश मनोहर छे,
हुं जागतो ने मांगतो, दीक्षा प्रभु मने आपजो,
खोटा पथे दोड्यो घणो, संयम पंथे मने स्थापजो,
करुं प्रभु हुं विनंती, संसार बंधन कापजो,
मांगु प्रभु दीक्षा हवे, मने हाथ जाली चलावजो…