तर्ज- छत्तीसगड़ी लोकगीत 

 

 

मोरा तो मन हर लियो रे प्रभु तोरी मुरतीया 

आये नजर नही जग मे– रे कोई ऐसी सुरतीया 

मोरा तो मन 

 

तोरे दरश बिन जियरा न माने 

भक्ति में तेरी प्रभु हम है दिवाने 

डूब न जाये कही नैया रे मोरी बीच भवरीया 

मोरा तो मन

 

मांगु ना तुझसे में धन की गठरीया 

प्यासा हूँ दरशन को मोरे सांवरीवा 

चाहूँ ये कट जायें चरणों में मोरी बाकी उमरीया 

मोरा तो मन.. 

 

जाऊँ कहां प्रभु दर से तुम्हारे 

तेरे सिवा सब झूठे सहारे 

तड़फे हैं मनवा मोरा ऐसे रे-  जैसे जल बिम मछलिया 

मोरा तो मन

- Stavan Manjari