तर्ज- बस यही अपराव में हर बार (पहचान)

 

 

 

मैं नहीं सुख में कभी तुम्हें याद करता हूं 

बस बड़ा भारी यहीं अपराध करता हूँ 

मैं नही 

 

अन्तरा  

 

हूँ सदा करता रहा दुर्ध्यान हर घड़ी 

इसलिए ही आपदाये भोगता बडी

आपके चरणों में आर्त नाद करता हूँ 

                                              मैं नहीं 

 

दया के सागर हो प्रभु मैंने ये सुना  

दुष्ट तारे है हजारो, कीजिये मुझको क्षमा 

तेरे सुमरन को सदा प्रमाद करता है 

मैं नहीं - 

 

दुष्ट कर्मों ने प्रभुजी, सताया है मुझे 

लक्ष चौरासी योनि में, भरमाया है मुझे 

हर तरह से जिन्दगी बरबाद करता हूँ 

मैं नहीं -

 

कर्म फन्दे से मुझ आजाद कीजिये 

सुख शांति की दुनिया मेरी आबाद कीजिये 

युवक मण्डल आपको फरियाद करता हूँ 

मैं नही

- Stavan Manjari