सुना है आँगन,
और सुना ये मन,
गुरुवर ना जाओ,
यही कहती है धड़कन,
शीदने आवडी कीधी उतावळ, बोलो ने गुरु मा..
नेण ढळे छे आंसुने भारे, पाछा वळो गुरु मा..
तमे लीधी विदाय व्हेली
याद नथी भूलवी सहेली…
सद् गुरू सत्य जणावे छे
सद् गुरू धर्म भणावे छे
मने स्थिर बनावे छे मारा गुरू …
सद् गुरू संगे सूख मळे
गुरू मांना पगलां पड्या ने आनदं छायो
उत्तसव अनेरो आजे आंगण रे आव्यो
पगलां पड्या ने आनदं छायो…
अणधार्या आवीने अमने मळ्या छे
उपकार कर्या मुज पर, एना गुण हुं विसारुं छुं
केवो बदलो में वार्यो, हुं एज विचारुं छुं…
उपकार कर्या मुज पर…
परमात्मा उपकारी, मने मंजील दर्शावी
केवुं धन्य जीवन जीवे छे मुनिराय,
निरखुंने आंखोमां, अमृत छलकाय…
दुः ख दे ना कोईने, सहन करे छतांय,
मुखडा पर समताने, शांति सदाय… निरखुं ने…
दर्शन दे देना,
आंखे बन्द करू या खोलू
पारस दर्शन दे देना ॥
मैं नाचित हूं बन्दा तेरा,
श्री पार्श्व नाथ भगवान
अरज सुनले ना मोरी
हो अरज सुन लेना मोरी,
मेरे पूरे करो अरमान
परमात्मारथी रंगाशे मारो आत्मा,
परमात्मा बनी जाशे मारो आत्मा...
थाशे प्रभुनुं मिलन वातवातमां,
परमात्मा बनी जाशे मारो आत्मा...
आत्मा परमात्मा जे संग जड्यो छे राज....