( राजस्थानी गीत)

 स्थाई 

 

थारों जनन मरण मिट जासी 

थाने श्रसु पार लागासी 

जीवड़ी आतम पद पा जास 

जपलो पारस ने हो ..  

 

अन्तरा 

 

मित उठ दर्शन ककने भावों आवी

पूजा सगला आन रचावों 

सामायिक में ध्यान लगावो 

जपलों पारस ने ही 

 

थाने जैन धर्म जो प्यारो 

करलो सबसु भाई चारों 

मन में जीव दया ने धारों 

जपलो पारस ने हो 

 

माया लोभ मोह ने त्यागों 

होई मोर नींद सु जागो 

करले प्रभु नाम री सागों 

जपलो पारस ने ही.. 

 

केनो युवक मण्डल रो मानों 

साथी प्रभु नाम ने जाणी 

पारस लागे मन ने भालों 

जपलो पारस ने ही…

- Stavan Manjari