कुशल कुशल दातार है, भक्तों का आधार है।
कोई निराश न जाये ऐसा, दादा का दरबार है ||
कुशलसुरि गुरूदेव आपकी, कीरती जग विख्यात है।
इस कलयुग में अद्भुत ज्योति, प्रगट रही साक्षात है ||
कुशल कुशल दातार है, भक्तों का आधार है।
कोई निराश न जाये ऐसा, दादा का दरबार है ||
कुशलसुरि गुरूदेव आपकी, कीरती जग विख्यात है।
इस कलयुग में अद्भुत ज्योति, प्रगट रही साक्षात है ||
गुरु भक्ति में शक्ति बड़ी, भक्ति करलो घड़ी दो घड़ी,
हो दादा गुरुवर के शरणों में आओ,
भजलो दादा को तुम एक घड़ी भक्ति करलो घड़ी दो घड़ी।
उस मानव का जीवन भी क्या, जिसने गुरुवर की भक्ति ना की।
मेरा छोटा सा संसार, दादा आ जाओ एक बार
दादा आ जाओ गुरु आ जाओ.....
मेरी बीच भँवर में नैय्या है,
दादा तू ही एक खिवैय्या है।
आ आ आऽऽऽ ओऽऽऽ
मालपुरा तेरा सच्चा है धाम, सुनके कुशल गुरु तेरा मैं नाम
दर्शन पाने को आया दर पे तेरे
जय श्री का लाला, अपने भक्तों को परचा दिखाए।
कुशल कुशल दातार है, भक्तों का आधार है।
कोई निराश न जावे ऐसा, दादा का दरबार है
कुशलसूरि गुरुदेव आपकी, कीर्ति जग विख्यात है।
इस कलियुग में अद्भुत ज्योति, प्रकट रही साक्षात् है।
मणिधारी बोल - २, तेरे कर्म करेंगे प्यारे
कर्मों को तोड़ मणिधारी बोल …
करता क्यों तेरी मेरी, कुछ ना रहेगा
माया को छोड़ यही पे, जाना पड़ेगा - २
चलौ मन मोरा हो, चलौ मन मोरा
दादा गुरु के शरणा हो, चलौ मन मोरा
बंदौ गुरु के चरणा हो, चलौ मन मोरा
भरम तजि चरणा हो, चलौ मन मोरा
गुरू भक्ति का रंग निराला, भक्ति रंग कमाल
एक घड़ी रंग जाय, जो भी, तारे दीन दयाल ... टेर।।
जिस पर उनकी महर नजर हो, मन इच्छित फल पाय।
इस दरबार में आने वाला, खाली हाथ न जाय।
गुरुवरजी गुरुवरजी आना जरूर
दर्शन देने आना जरूर
गुरुवरजी मेरे आना, दर्श दिखाना,
हमें याद रखना, कहीं भूल न जाना,
मेरे दादा की कहानी, कहती महरौली जुबानी।
सर पे ताज है मणि का, दूजे दादा की निशानी।।
विक्रमपुर का नन्हा बालक, दत्त शरण में आया-2
दीक्षा ले अल्पायु में ही, आचारज पद पाया-2