शीदने आवडी कीधी उतावळ, बोलो ने गुरु मा..
नेण ढळे छे आंसुने भारे, पाछा वळो गुरु मा..
तमे लीधी विदाय व्हेली
याद नथी भूलवी सहेली…
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सद् गुरू सत्य जणावे छे
सद् गुरू धर्म भणावे छे
मने स्थिर बनावे छे मारा गुरू …
सद् गुरू संगे सूख मळे
गुरू मांना पगलां पड्या ने आनदं छायो
उत्तसव अनेरो आजे आंगण रे आव्यो
पगलां पड्या ने आनदं छायो…
अणधार्या आवीने अमने मळ्या छे
उपकार कर्या मुज पर, एना गुण हुं विसारुं छुं
केवो बदलो में वार्यो, हुं एज विचारुं छुं…
उपकार कर्या मुज पर…
परमात्मा उपकारी, मने मंजील दर्शावी
केवुं धन्य जीवन जीवे छे मुनिराय,
निरखुंने आंखोमां, अमृत छलकाय…
दुः ख दे ना कोईने, सहन करे छतांय,
मुखडा पर समताने, शांति सदाय… निरखुं ने…
रात गुरु सपने में आये
अखियाँ खुल गयी खुल गयी अखियाँ
जिभर पहले दरस किया मैंने
चरणों का अमृत रस पिया मैंने
मेरा कस के पकड़ लो हाथ, छुड़ाऊं तो छुड़ाया नहीं जाये।।
जब तक है जीवन मुझसे (दादा) गुरुवर न बदले।
बदलने से पहले गुरुवर, मेरे प्राण निकले।
मेरे सर पर रख दो हाथ, हटाऊँ तो हटाया नहीं जाए ||1||