(तर्ज- घर आया अंश परदेशी (आवारा) 

जिनराया मेरे मन भाया । 
तुम बिन कोई न दिल भाया ॥ 

तू सब दुःख को हरता है 
मोक्ष का मालिक कर्ता है 
जग में प्रेम बरसाया है जिनराया ll1ll

आनंदकंद को वंदन है 
ये लोक पाप निकदंत हैं  
तेरे आगे झुकती माया जिनराया ll2ll

त्रिशला के नंदन प्यारे 
सिद्धारथ के मनहारे 
शासन पे रखना साया जिनराया ll3ll

मन का सबके है मोती 
तीन भुवन की है ज्योति 
उत्तम धर्म है दिखलाया जिनराया ll4ll

इस महफिल में थम जाना 
“युवक मंडल" ने हैं गुण गाया जिनराया ll5ll

- Stavan Manjari