सोमवार, 2 अक्तूबर 2023
तर्ज- घर आया अंश परदेशी (आवारा)
स्थायी
जिनराया मेरे मन भाया ।
तुम बिन कोई न दिल भाया ॥
अन्तरा
तू सब दुःख को हरता है
मोक्ष का मालिक कर्ता है
जग में प्रेम बरसाया है जिनराया ॥१॥
आनंदकंद को वंदन है
ये लोक पाप निकदंत हैं
तेरे आगे झुकती माया जिनराया॥२॥
त्रिशला के नंदन प्यारे
सिद्धारथ के मनहारे
शासन पे रखना साया जिनराया ॥३॥
मन का सबके है मोती
तीन भुवन की है ज्योति
उत्तम धर्म है दिखलाया जिनराया ॥४॥
दिल से हट कर मत जाना
इस महफिल में थम जाना
“युवक मंडल" ने हैं गुण गाया जिनराया ॥५॥
- Stavan Manjari