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गुरु वंदना

गुरुदेव ! तुम्हे नमस्कार बार बार हैं

श्रीचरण शरण से हुआ, जीवन सुधार है ।।गुरुदेव।। 

 

अज्ञान - तम हटाके ज्ञान ज्योति जगा दी

दृढ आत्मज्ञान में अखण्ड दृष्टी लगा दी

उपदेश सदाचार सकल शास्त्र सार हैं ।।गुरुदेव ॥१॥ 

 

विधियुक्त सिर झुका के कर रहे हैं वंदना 

अब हो रही मंगलमयी सध्वाव स्पन्दना

माधुर्य से मिटा रही मन का विकार है ।।गुरुदेव ॥२॥

 

यह है मनोरथ नित्य रहे संत चरण में

अन्तिम समय समाधि मरण चार शरण में

यह 'सुर्यचन्द्र' मोक्ष मार्ग में विहार हैं ।।गुरुदेव ॥ ३॥ 

- Stavan Manjari

निश दिन सुमरो रे नवपद माला

तर्ज - यशोमती मैय्या से बोले

 

निश दिन सुमरो रे नवपद मा-ला

कर्म का टूटे पल में ताला ॥ धू ॥

 

सुमिरन इस जीवन में दुख हर लेगा। 

इक दिन चौरसी का सुख हर लेगा

जमकर पियो रे सुमिरन प्याला

भर भर प्याला ॥१॥

 

पग पग घेरे चाहे यह दुखीयारे

बच निकलेगी नाव की हर नैय्या

तट पर उतारी थी चंदनबाला

जप कर माला ॥२॥

 

नवपद की महिमा का पार नहीं हैं।

सब मंत्रो का मधु, एक सार यही है। 

निर्बल निर्धन का यह रखवाला 

दीन दयाला है ॥३॥

करले - करले रे दर्शनिया

करले - करले रे दर्शनिया

करले - करले रे दर्शनिया पाश्र्वं प्रभु की

तोरे कमों की बंधनिया, टूटे रे बावरीया  २

 

पार्श्वनाथ की प्रतिमा प्यारी माता वामादेवी २ 

अश्वसेन के राजदुलारें जनम्या वाराणसी ॥१॥ 

 

महामंत्र नवकार सुनाकर, नागीन जाग उतारा २ 

भेलेपूर में दीक्षा ले प्रभु मोक्ष गये शिखरजी ॥२॥ 

 

जिरावला थंबन का परडा, अंतरीक्ष फल्लौदी २

संखेश्वरजी तीर्थ बड़ा है और बड़ा भांदकजी ॥3॥

बार बार दर्शन को तरसुं, एक बार तो दे दो

शिखर पड़ा हैं चरणे प्रभुजी, अब तो करो उद्धार ॥४॥

- Prakash Katariya

 

- Stavan Manjari

मंगलाचरण

वंदन हो, वंदन हो,

मंगलमय महावीर! वंदन हो…

त्रिशला नंदन, भवभय भंजन, पाप निकंदन हो। वंदन हो । 

 

वंदन हो जग बंधन तोड्यां, भवोभव केरा फंदन फोड्यां

मेरु सम मन धीर वंदन हो ||

 

विश्वमही संहारनी आजे, मृत्युनी रणभेरीओ गाजे

त्यारे हे महावीर, दर्शन दो। वंदन हो ॥

 

 

भडभडता आ दावानलपर, छांटो अमृत नीर वंदन हो ॥

है वीर अमने वीरता देजो, कुसंपने कायरता हरजो

संयम - शील - सुधीर। वंदन हो ॥

 

- Stavan Manjari

माँ तू है सब देवो से बढ़कर

देखे है मैंने लाख बिछौने नरमी के

एक से एक बढ़कर,

सुलभ न हुआ कोई बिस्तर मेरी माँ

की गोद से बढ़कर,

क्या खुराक हो सकती है बेहतर

मेरी माँ के दूध से बढ़कर,

अमान है ये जीवन, यह तन यह बदन,

असहय वेदना सहकर, दिया हमे

खूबसूरती का जीवन,

सच में माँ महान होती है

जहाँ भी हो

बच्चों में उसकी जान होती है

लाख लाख प्रणाम

माँ तुझको

तु है सब देवो से बढ़कर।

- Stavan Manjari

यह पर्व पर्यूषण

तर्ज: ये देश है वीर जवानों का…

 

यह पर्व पर्यूषण जैनों का, अलबेलों का मस्तानों का,

इस धर्म का यारों २ क्या कहना, यह धर्म है जैनो का गहना,

हो हो ऽऽऽऽ हो ऽऽऽऽ 

 

यहाँ होती अठाई घर घर में, नित होती पूजा मंदिर में,

यहाँ लोग हजारों २ आते हैं, प्रभु दर्शन को जाते हैं,

हो हो ऽऽऽऽ यह पर्व.....॥१॥

 

यहाँ भक्त झूमते गाते हैं, पर्व की खुशियाँ मनाते है,

इस पर्व का यारो २ क्या कहना, पुण्य कमाते तुम रहना,

हो हो ऽऽ यह पर्व.....॥२॥

 

भादो का महिना आया है, भावों की बहार लाया है,

यहाँ लगती है होड़ 2 तपस्या की, बजती शहनाई शासन की,

हो हो ऽऽ यह पर्व.....॥3॥

 

प्रभु दर्शन को निज आते है, जिनवर की पूजा करते है,

यहाँ नीत-नीत मेले २ लगते है, प्रभुजी के दर्शन करते हैं,

हो हो ऽऽ यह पर्व.....॥४॥

 

जिन शासन की शोभा न्यारी है, हमें प्राणों से भी प्यारी है,

जिन शासन का २ है क्या कहना, सेलू मंडल का ये कहना,

हो हो ऽऽ यह पर्व ....॥५॥

- Stavan Manjari

अब हम जाते हैं घर.... 

अब हम जाते हैं घर, झुकाकर सर 

ओ दादा प्यारा, आशिष का करों इशारा ॥ 

दिल तो जाने को नहीं करता, पर गये बिना भी नहीं चलता,

अब करूं तो कौन उपाय नहीं कोई चारा, आशिष का करो इशारा,

अब हम जाते है घर...॥१॥

 

आवे तब हर्ष हृदय होवे, जाते समय नयन रोए, 

बिछुड़न से नयन में बहती आंसु धारा, आशिष का करो इशारा,

अब हम आते हैं घर...॥२॥

 

कुछ हुई नही पूजा भक्ति, नहीं धन लगाने की शक्ति,

सिर्फ हाथ जोड़कर छोड़ रहा हूँ द्वारा, आशिष का करो इशारा,

अब हम जाते है घर...॥३॥

 

फिर जल्दी बुला दर्शन देना, खबर मेरी लेते रहना,

निश्चिंत रहूँ मैं तुम पर हर प्रकारा, आशिष का करो इशारा,

अब हम जाते है घर...॥४॥

 

गलती यदि कुछ हुई मेरी, कर देना भूल माफ मेरी, 

रहे मंडल आपके हुकुम का हलकारा, आशिष का करो ईशारा,

अब हम जाते हैं घर...॥५॥

- Stavan Manjari

इतनी शक्ति हमे देना गुरुवर

इतनी शक्ति हमें देना गुरुवर,

मन का विश्वास कमजोर हो ना, 

हम चले नेक रस्ते पे हमसे, 

भुलकर भी कोई भूल हो ना।

इतनी शक्ति…

 

दूर अज्ञान हों अंधरे, तू हमें ज्ञान की रोशनी दे,

हर बुराई से बचते रहे हम, जितनी भी दे भली जिंदगी दे,

बैर हो ना किसी का किसी से, 

भावना बदले की भी ना हो ना,

हम चले नेक रस्ते.... ॥१॥

 

हम ना सोचे हमें क्या मिला है, 

हम ये सोचे किया क्या है अर्पण, 

फूल खुशियों के बांटे सभी को, 

सब का जीवन ही बन जाए मधुबन, 

अपनी करुणा का जल तू बहा के, 

कर दे पावन हर एक मन का कोना, 

हम चले नेक..... ॥२॥

- Stavan Manjari

है ये पावन भूमि यहाँ बार-बार आना 

है ये पावन भूमि, यहाँ बार-बार आना, 

गुरुदेव के चरणों में, आकर के झुक जाना,

है ये पावन भूमि …

 

तेरे मस्तक मुकुट है, तेरी अंगिया सुहानी है, २ 

तू तो करुणा सागर है, मुझ पर करुणा करना, २

है ये पावन भूमि… ॥१॥

 

तेरा तीरथ सुन्दर है, तू प्राणों से प्याराहै, २ 

मेरी विनती सुन लेना, बेड़ा पार लगा देना, २ 

है ये पावन भूमि … ॥२॥

 

तू जीवन गामी है, तू अर्न्तयामी है, २ 

मेरी नैय्या डू रही, नैय्या को तीरा देना २

है ये पावन भूमि..... ॥३॥ 

 

तेरी सूरत प्यारी है, मेरे मन को लुभाती है, 

दादा मेरी भक्ति को, स्वीकार तू कर लेना,

है ये पावन भूमि.... ॥४॥

- Stavan Manjari

"साधना" पाना नही जीवन को

पाना नही जीवन को बदलना है साधना,

धुएं सा जीवन मौत है २ऽऽऽ, जलना है साधना, 

पाना नही जीवन को…

 

मुंड मुंडाना बहुत सरल है, मन मुंडन आसान नहीं,

व्यर्थ भभूत रमाना तन पर, यदि भीतर का ज्ञान नहीं,

पर की पीड़ा में मोम साऽऽऽ २ पिघलना है साधना,

पाना नही जीवन को... ॥१॥

 

मंदिर में हम बहुत गए पर, मन यह मंदिर नहीं बना,

व्यर्थ शिवालय में जाना जो, मन शिव सुंदर नही बना,

पल-पल समता में इस मन काऽऽऽ २, ढलना है साधना,

पाना नही जीवन को... ॥२॥ 

 

सच्चा पाठ तभी होगा जब, जीवन में पारायण हो,

श्वांस-श्वांस, धड़कन से, जुड़ी हुई रामायण हो,

नव सत्पथ पर जन-जन का, मन का चलना है साधना,

पाना नहीं जीवन को... ॥३॥

- Stavan Manjari