(तर्ज - जिन्दगी की ना टुटे लडी)

जीवन में हो ऐसी घड़ी
मन में बस जाये मुरत तेरी 2
ये जीवन है दर्शन का प्यासा
प्यास बुझती हैं कब तक मेरी 2

ये मानव का जीवन हैं क्या
जिन में भक्ति की शक्ती नहीं 2
वहाँ जीवन ही जीवन नहीं
जिसमे तेरी कहानी नहीं ओ कहानी नही
मिलन की घड़ी है बड़ी मन में बस जाये मुरत तेरी
जीवन…  ॥1॥

वीरा तेरे बिना लागे ना रे मनवा 
ओ वीरा तेरे बिना लागे ना रे मनवा लागे ना
आज से तुझ से वादा रहा
जीवन ज्योती जगायेंगे हम 2 
जीवन नैय्या तिरायेगे हम रिश्ते नाते सारे तोड़कर 
मोह माया की 2 यूं हैं पड़ी 
मन में बस जाये भुरत तेरी ओ ओ ऽऽऽऽ  
जीवन…  ॥2॥ 

लाख प्यारा हो जीवन तो क्या 
तेरी भक्ती से प्यारा नहीं 2 
मन की वीणा की हर तान पर 
गुण गुणाने की सीमा नहीं 
इस बालक को 2 सुन लो सभी 
मन में बस जाये मुरत तेरी
जीवन…   ॥3॥