दादा तुमसे मिलने का, सत्संग ही बहाना है-२
दुनियाँ वाले क्या जाने, मेरा रिश्ता पुराना है-२
कलियों में ढूंढा तुम्हें, फूलों में पाया है होऽऽऽ-२
तुलसी के पत्तों में, मेरे दादा का ठिकाना है-२
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खुल जायेगा किस्मत का ताला, दरबार दादा के चले आना।
हो जायेगा तकदीर वाला, दरबार गुरु के चले आना।।
चमत्कार ऐसा, मिला न मिलेगा।
सभी करना तन मन से, दादा की सेवा।
तेरे दर्श को जी ललचाए, देखूं तो झूमे गाये
हमें गुरु मिल गये…….
देहली के राजा तेरी अर्थी उठी ना माणिक चौक से
शाही फरमान से भी हिल ना सकी हाथी के जोर से
मेरा आपकी दया से, हर काम हो रहा है।
करते हो तुम गुरुवर, मेरा नाम हो रहा है।
मेरी जिंदगी में तुम हो, मेरे पास क्या कमी है।
मुझे और अब किसी की दरकार भी नहीं है।
आसरा एक तेरा, एक तेरा सहारा
सुनले फरियाद मेरी, मैंने तुमको पुकारा।
जख्म जग ने दिया है, घाव किसको दिखाऊं।
कोई अपना नहीं है, हाल किसको सुनाऊं।
रात गुरु सपने में आये
अखियाँ खुल गयी खुल गयी अखियाँ
जिभर पहले दरस किया मैंने
चरणों का अमृत रस पिया मैंने
जब तक सांसे चलती है, गुरुवर की महिमा गाऊँ।
सपने में गुरु को देखूँ, जागूं तो दर्शन पाऊँ।
जब माया मोह में उलझा, मन ने मुझको भटकाया।
गुरूदेव ने हाथ पकड़कर, मुझे सत्य का पथ दिखाया।
अगर गुरु मिल जाये, हृदय को खोल देंगे हम,
पाप जितने किये गुरुवर के, सम्मुख बोले देंगे हम
किसी का ना बुरा सोचूँ, प्रतिज्ञा आज करता हूँ,
किसी का ना बुरा बोलूँ, ये चिन्तन आज धरता
मेरा कस के पकड़ लो हाथ, छुड़ाऊं तो छुड़ाया नहीं जाये।।
जब तक है जीवन मुझसे (दादा) गुरुवर न बदले।
बदलने से पहले गुरुवर, मेरे प्राण निकले।
मेरे सर पर रख दो हाथ, हटाऊँ तो हटाया नहीं जाए ||1||
रोज तेरी तस्वीर सिरहाने रखकर सोते हैं।
यही सोचकर अपने दोनों नैन भिगोते हैं।
कभी तो तस्वीर से निकलोगे, कभी तो मेरे दादा पिघलोगे।।
अपनापन हो आँखों में, होंठो पे मुस्कान हो।