गुरुवार, 12 अक्तूबर 2023
(तर्ज : बाबुल का ये घर बहना)
दादा तुमसे मिलने का, सत्संग ही बहाना है-२
दुनियाँ वाले क्या जाने, मेरा रिश्ता पुराना है-२
|| अन्तरा ||
कलियों में ढूंढा तुम्हें, फूलों में पाया है होऽऽऽ-२
तुलसी के पत्तों में, मेरे दादा का ठिकाना है-२
सूरज में ढूंढ़ा तुम्हें, चंदा में पाया है होऽऽऽ-२
तारों कीऽऽऽ-२ झिलमिल में, मेरे दादा का ठिकाना है-२
दुनियाँ में ढूंढा तुम्हें, मालपुरा में पाया है होऽऽऽ-२
मालपुरा के मन्दिर में मेरे दादा का ठिकाना है-२
नवापारा में ढूंढा तुम्हें, पालीताणा में पाया है होऽऽऽ-२
नवापारा के मन्दिर में मेरे दादा का ठिकाना है-२