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आने से उसके आए बहार

आने से उसके आए बहार

(तर्ज : आने से उसके आए बहार) 

आ आ आऽऽऽ ओऽऽऽ 
मालपुरा तेरा सच्चा है धाम, सुनके कुशल गुरु तेरा मैं नाम 
दर्शन पाने को आया दर पे तेरे 

जय श्री का लाला, अपने भक्तों को परचा दिखाए। 
भर दिये वो झोली, जो भी दर पे तुम्हारे फैलाए । 
खाली है ये दामन, आज भराने को आया दर पे तेरे 
दर्शन पाने को ॥1॥ 

सोमवार पूनम, तेरे दर्शन की महिमा है भारी। 
दर पे सर झुकाने, आते लाखों ही नर और नारी । 
मैं भी तो चरणों में, पुष्प चढाने को आया दर पे तेरे।। 
दर्शन पाने को ||2|| 

क्या बताऊँ दादा, तेरे दर्शन का मैं हूँ दिवाना। 
आशा करदे पुरी, दादा यूँ ही न मुझको लौटाना। 
रूठे हैं दादा गुरु, आज मनाने को, आया दर पे तेरे।। 
दर्शन पाने को ||3||

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