(तर्ज : जिंदगी की ना टुटे लडी ....)
गुरु भक्ति में शक्ति बड़ी, भक्ति करलो घड़ी दो घड़ी,
हो दादा गुरुवर के शरणों में आओ,
भजलो दादा को तुम एक घड़ी भक्ति करलो घड़ी दो घड़ी।
अंतरा
उस मानव का जीवन भी क्या, जिसने गुरुवर की भक्ति ना की।
वो गच्छ ही खरतर नही, जिसने दादा की पूजा ना की
पूजो दादा को चित्त से सभी, भक्ति करलो घड़ी दो घड़ी ।।१।।
आज से ये प्रतिज्ञा करो, दादा गुरुवर को ध्याने लगो - २
अष्ट सिद्धि नव निधि मिलेगी, आजमा करके तुम देखलो।
दादा चरणों में लब्धि पड़ी, भक्ति करलो घड़ी दो घड़ी ॥२॥
लाख चौरासी का हो भ्रमण, चाहे बाँधे हो कितने करम २
कट जायेंगे सारे करम, जो पालोंगे जैन धरम।
जैन धर्म की महिल बड़ी, भक्ति करलो घड़ी दो घड़ी ॥३॥
जैन मंडल तो सबसे कहे, ग्यान गुरु बिन नही मिले - २
बिन ग्यान के मुक्ति कहाँ, कोई कितनी भी खटपट करे।
दादा गुरुवर से जोड़ो कड़ी, भक्ति करलो घड़ी दो घड़ी ॥४॥