मेरा खरतरगच्छ श्रृंगार..

(तर्ज : मेरा खरतरगच्छ श्रृंगार...)  

 

मेरा छोटा सा संसार, दादा आ जाओ एक बार 

दादा आ जाओ गुरु आ जाओ..... 

          ।। अन्तरा।। 

मेरा छोटा सा संसार, दादा आ जाओ एक बार 

दादा आ जाओ गुरु आ जाओ..... 

 

मेरी बीच भँवर में नैय्या है, 

दादा तू ही एक खिवैय्या है। 

मेरी नाव लगा दो पार, 

दादा आ जाओ एक बार ||१|| 

 

तूने लाखों की बिगड़ी बनाई है, 

अब मेरी भी बिगड़ी बना देना। 

करो भवसागर से पार, 

दादा आ जाओ एक बार ||२|| 

 

जिनदत्त सूरि महाराज, मेरे घर आओ एक बार 

मणिधारी जी महाराज, मेरे घर आओ एक बार 

कुशलसूरि महाराज, मेरे घर आओ एक बार 

जिनचंद्र सूरि महाराज, मेरे घर आओ एक बार