गुरुवर तेरे चरणों की, जो धूल ही मिल जाए।
सच कहता हूँ मेरी, तकदीर संवर जाए ||
गुरुवर तेरे चरणों की, जो धूल ही मिल जाए।
सच कहता हूँ मेरी, तकदीर संवर जाए ||
कोई दीजो-३ रे संदेश, म्हारा गुरुवर ने संदेश,
हिवड़े कुशल सूरी बस जाए...
अजमेर का एक सितारा, चमका था आकाशों में २
जैन संघ का बना था नायक, देखा सारे भक्तों ने ॥ध्रुव।।
अंगुली पकड़ मेरी, चलना सिखाता है,
चलना सिखाता है, चलना सिखाता है...
प्रभु तुम दर्शन जो पाऊँ, जिणंद नयनो में समा जाऊँ
रांखुं अपने हृदय कमल में, पलक विसराऊँ
कुशल कुशल दातार हैं, भक्तों का आधार हैं
कोई निराश न जाये एैसा, दादा का दरबार हैं ॥१॥