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ऐ मेरे प्यारे वतन

(तर्ज : ऐ मेरे प्यारे वतन ) 

ऐ मेरे दादा गुरु, दुनियाँ के दाता गुरु, 
तुम मेरे भगवान... 
अपने गुरु का प्यार ले, भक्ति का उपहार ले, 
कर गये कल्याण-2... तुम... ऐ... ||ध्रुव|| 

स्वर्ग से हम आपको, वापिस बुला सकते नहीं, 
पर कभी भी भक्तगण, गुरु को भुला सकते नहीं, 
कितने अच्छे तेरे काम, कितना अच्छा तेरा नाम ||1|| 

जितनी मुरादें चाहिये, इस नाम से मिल जाती हैं, 
मन की मुरझाई कली, इस नाम से खिल जाती है, 
दूज के हे चन्द्रमा, अमृत भरे तेरे चरणधाम ||2|| 

जन्म से तोआपकोमैंने, भक्ति-प्याला पी लिया, 
आपके चरणों की छाया में, यह जीवन जी लिया, 
तेरी माला जपके चाहे, भक्त तेरा मुक्ति धाम ||3||

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