(तर्ज : सौ बार जन्म लेंगे...) 

गुरुवर तेरे चरणों की, जो धूल ही मिल जाए। 
सच कहता हूँ मेरी, तकदीर संवर जाए || 

सुनते हैं दया तेरी, दिन रात बरसती है। 
एक बूँद जो मिल जाए, कली दिल की खिल जाए। 
गुरुवर.... ॥1॥ 

यह मन बड़ा चंचल है, कैसे तेरा ध्यान धरूँ। 
कितना इसे समझाऊँ, उतना ही मचल जाए। 
गुरुवर.... ॥2॥ 

नजरों से गिराना नहीं, चाहे कितनी सजा दे दो। 
नजरों से जो गिर जाए, मुश्किल है संभल पाए।। 
गुरुवर.... ||3|| 

मेरे इस जीवन की, बस एक तमन्ना है। 
तुम सामने हो मेरे, बस प्राण निकल जाए || 
गुरुवर.... ॥4॥