(तर्ज : कोई दीजो रे संदेश...)
कोई दीजो-३ रे संदेश, म्हारा गुरुवर ने संदेश,
हिवड़े कुशल सूरी बस जाए...
अंखियां छम-छम आंसू बरसे, म्हारा नैन मिलन ने तरसे
दर्शन दीजो रे...२ गुरुदेवऽऽऽ-२
।। अन्तरा।।
थांरे दर्शन ने तरसूं, बिलखूं मैं एकलो,
किनने सुनाऊं दुखड़ो, तरसूं मैं एकलो,
कोई दर्द ना जाने म्हारो, जग में तू ही एक सहारो
दर्शन दीजो रे ||१||
झूठी है दुनिया सारी, झूठी सबप्रीत रेऽऽ
झूठी है काया, माया, झूठी सब रीत रेऽऽ आऽऽ
जग में साचो थारो नाम, थाने कोटि कोटि प्रणाम
दर्शन दीजो रे ||२||
म्हे तो अज्ञानी गुरुवर, थे अंतरयामी
थाने रिझाऊं किंया, जानूं ना स्वामी आऽऽ
अरजी करने आया आज, सगला मिलकर थारे द्वार
दर्शन दीजो रे ||३||