नेमि नेमि नेम… नेमि नेमि नेम…
जय गिरनारी… जय गिरनारी…
नेमि नेमि नेम… नेमि नेमि नेम…
नेम नेम नेम नेम नेम… हो नेम… हो नेम…
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यादो मा ने स्वप्नो मा बस तुं छे दिन रात,
ज्यारे थी भेट्यो तुजने बस एक तारी वात,
तुं दोष संताप टाळे,
तुं भवसागर थी उगारे,
साथ गिरनारनो हाथ नेमनाथनो,
होय जो मस्तके तो शो तोटो,
अन्य स्थाने रही ध्यावे रैवतगिरी,
चोथे भवे पामतो मोक्ष मोटो
राजीमती तमने मनावा नाथ वलवलती हती
तो ये तमे संयमतणा संकल्प थी डग्या नथी
हे सत्वमूर्ति सत्व ए आसत्वहीन ने आपजो
हे नेमिजिन मारा हृदयमां शौर्यरस जन्मावजो… (१)
गिरनारे शोभे देखो नेमजी शामलीया
मुखडुं जोवा ने टमटम, चमके छे तारलीया,
जोवा चमके छे तारलीया, बेठा मलके छे शामलीया,
राजीमती ना, मन वसीया..
संसार थी विरती रथ नो,
गिरनार थी मुक्ति पथ नो…
सथवार छे एक मारो,
आधार छे एक बस…
ओघो छे अणमूलो एनुं खुब जतन करजो,
मोंघी छे मुहपत्ति एवुं रोज रटण करजो ||
ओघो छे अणमूलो…
आ वेश आप्यो तमने अमे एवी श्रध्धाथी,
के आज संयम नु पानेतर पेहरी ने जो
राजुल ने नेम मली जाशे तू जो
राजुल ने नेम मली जाशे
प्रीत ने नवी रीत मली जाशे तू जो
क्यारे बनीश हुं साचो रे संत,
क्यारे थशे मारा भावनो रे अंत
क्यारे बनीश हुं…
लाख चोराशी ना चोरे ने चोटे,
मुमुक्षु बनवुं मारे, प्रभु पंथे चालवा
हो जी रे.. मुमुक्षु बनवुं मारे, प्रभु पंथे चालवा
हो.. प्रभु पंथे चालवा, गुरु आणा माणवा
मुमुक्षु बनवुं…