दादा तुमसे मिलने का, सत्संग ही बहाना है-२
दुनियाँ वाले क्या जाने, मेरा रिश्ता पुराना हैं २
दादा तुमसे मिलने का, सत्संग ही बहाना है-२
दुनियाँ वाले क्या जाने, मेरा रिश्ता पुराना हैं २
तेरा दर तो हकीकत में
करते हैं दादा, तेरा हर पल शुक्रिया,
खुशियां जो दी हैं, उसका भी शुक्रिया ।
श्री जैन श्वेतांबर नागेश्वर पार्श्वनाथ तीर्थ एक जैन मंदिर है जो उन्हेल, झालावाड़ जिला , राजस्थान में हैं।
यह मंदिर 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ को समर्पित है। श्री नागेश्वर पार्श्वनाथ दादा की मूर्ति बहुत ही तेजस्वी रूप में हैं।
श्री नागेश्वर पार्श्वनाथ तीर्थ की मूलनायक महान, अदभुत, मनोहर एवं मनभावन प्रतिमा का संक्षेप में वर्णन-
मूर्ति खड़े होकर कौसाग आसन में हैं, भगवान नागेश्वर पार्श्वनाथ के मस्तक पर सात फणा छत्र है। फना के चतरो सहित कुल ऊंचाई 14 फुट है। बिना फना शरीर की ऊंचाई 13.5 फुट यानी नौ हाथ है जो श्री पार्श्वनाथ भगवान की वास्तविक ऊंचाई है।
मूलनायक श्री नागेश्वर पार्श्वनाथ भगवान के बायीं और दायीं ओर साढ़े चार फुट लंबी श्री शांतिनाथ भगवान और श्री महावीर स्वामी भगवान की कौसाग मुद्रा में सफेद संगमरमर की मूर्तियां हैं।
यह मंदिर श्वेतांबर संप्रदाय का है। यह मंदिर सफेद संगमरमर से बना है और बहुत चमत्कारी माना जाता है। मंदिर का जीर्णोद्धार 1207 (वि.सं. 1264) में जैन आचार्य श्री अभय देवसूरी द्वारा किया गया था।
यह प्राचीन मंदिर लगभग 1200-1300 साल पहले का था। इस तीर्थ का प्राचीन नाम वीरमपुर है।
मंदिर मध्य प्रदेश और राजस्थान राज्य की सीमा पर स्थित है। मंदिर एक गौशाला का भी प्रबंधन करता है जिसे श्री नागेश्वर पार्श्ववंत गौशाला के नाम से जाना जाता है मंदिर एवं भोजनालय में सभी आधुनिक सुविधाओं के साथ आवास की व्यवस्था है।
Address-:
Shri Jain Shwetambar Nageshwar Parshwanath Tirth Pedhi
P.O. Unhel, St. Chowmhala, West Railway,
District Jhalawar, Rajasthan -326515
Contact No. : +91-07410-240712/240747
Nageshwar Tirth Pedhi Contact No. : +91-9784816711 / +91-9649116711
Dharmashala No. : +91-9784816711
Dharmashala Booking No. : +91-07410-240711 / 240781
Dharmashala Booking No. - +91-7568558711 / +91-9610451711
✨श्री नागेश्वर पार्श्वनाथ तीर्थ प्रवेश द्वार ✨
✨श्री नागेश्वर पार्श्वनाथ मूलनायक✨
✨श्री आचार्य श्री अभय देवसूरी गुरु मंदिर✨
✨श्री नागेश्वर पार्श्वनाथ तीर्थ भोजनशाला ✨
✨यात्रिंक भवन✨
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
✨Other Images✨
🙏🏻😊Thank You🙏🏻😊
✨ Shree Pavapuri Tirth - Jeev Maitridham ✨
✨ श्री पावापुरी जैन तीर्थ का निर्माण के.पी.संघवी समूह द्वारा किया गया है। ✨
श्री कुमारपालभाई वी. शाह ने के.पी. संघवी समूह के संस्थापक स्वर्गीय श्री हजारीमलजी पूनमचंदजी संघवी (बाफना) और श्री बाबूलालजी पूनमचंदजी संघवी (बाफना) को तीर्थ धाम के निर्माण के लिए प्रेरित किया। 1998 में संघवी ट्रस्ट द्वारा स्थापित किया गया और यह मंदिर 2001 में बनकर तैयार हुआ।
श्री पावापुरी मंदिर उत्तर-पश्चिमी भारत में राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित है। राजस्थान को युद्धों और बहादुर योद्धाओं की भूमि के रूप में जाना जाता था, लेकिन यह तब बदल गया जब जैन संत शांति और अहिंसा का प्रचार करने के लिए राजस्थान आए। अहिंसा जैन धर्म की नैतिकता और सिद्धांत की आधारशिला बनाने वाला मूल सिद्धांत है। यह जैन तीर्थ (मंदिर परिसर) और जीव रक्षा केंद्र (पशु कल्याण केंद्र) के रूप में प्रसिद्ध है।
श्री पावापुरी मंदिर का नाम वहां मौजूद पावड़ा कृषि कुएं से लिया गया है। जैन मंदिर, कला, वास्तुकला और संस्कृति का एक शानदार उदाहरण। इसका परिसर आगंतुकों को मंत्रमुग्ध कर देता है और उन शुद्ध मूल्यों में स्थापित कर देता है जो पीढ़ियों से इसके मंदिरों में व्याप्त हैं। पावापुरी में अनुभव की गई आनंददायक और उपचारात्मक मन की स्थिति और शांति को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता है क्योंकि इसे केवल किसी की आत्मा के भीतर ही गहराई से महसूस किया जा सकता है। पावापुरी का शांत, सुंदर, दर्शनीय और विशाल परिसर चिंतनशील अरावली पर्वत श्रृंखला के बीच समुद्र तल पर चमकते मोती की तरह बसा हुआ है।
Address-
Shree Pavapuri Tirth - Jeev Maitridham
Kishanganj, Kandla- Delhi Highway,
National Highway No. 168 and S.H No 27
Pavapuri, Sirohi-307001, Rajasthan
Telephone: +912972-286866, +91 97993 99111
Email: [email protected]
श्री पावापुरी तीर्थ - जिव मैत्रीधाम प्रवेश द्वार
श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान (मुलनायक दादा)
के.पी. संघवी समूह ने हमेशा धर्म, संस्कृति और समाज की गहरी चिंता की है। यह सहानुभूतिपूर्ण और देखभाल वाला पहलू ही वह आधार था जिस पर पावापुरी मंदिर की स्थापना की गई थी। पावापुरी मंदिर एक पवित्र स्थान है जो धार्मिक मूल्यों, आध्यात्मिक सिद्धांतों और परमात्मा के प्रति समर्पण की जड़ों पर खड़ा है। के. पी संघवी समूह की निष्ठा और समर्पण ने ही इस सपने को हकीकत में बदला है। सदियों पुरानी परंपराएं और रीति-रिवाज आज भी पावापुरी में जीवित हैं और सांस ले रहे हैं, और जैन धर्म का इतिहास सावधानीपूर्वक संरक्षित और श्री पावापुरी तीर्थ-जीवमैत्रीधाम के नाम से स्थापित है।
✨ OTHER TEMPLES IN PAVAPURI DHAM✨
1 JAL MANDIR
यह 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर को समर्पित मंदिर है। इस मंदिर का नाम बिहार के पावापुरी में स्थित प्रसिद्ध जल मंदिर के नाम पर रखा गया है, जो भगवान महावीर का निर्वाण स्थान है। जल मंदिर में 24वें तीर्थंकर श्री महावीर स्वामी भगवान की चौमुखी (चार) संगमरमर की मूर्तियाँ हैं। इस मनमोहक मंदिर की स्थापना 1 मई 2009 को 6 आचार्य भगवंतों, 50 साधुओं और 150 साध्वियों की उपस्थिति में आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय हेमचंद्रसूरीश्वर महाराज साहेब और आचार्य भगवंत श्री गुणरत्नसूरीश्वरजी महाराज साहेब द्वारा की गई थी। जल मंदिर में 24 वृक्ष हैं जिनके नीचे प्रत्येक तीर्थंकर को केवलज्ञान प्राप्त होता है।
जल मंदिर के दोनों ओर 8 गुरु मंदिर हैं जो समर्पित हैं .
2) SHRI GAUTAM SWAMI CIRCLE
जल मंदिर के ठीक सामने गौतम स्वामी सर्किल है। यह महावीर स्वामी भगवान के अन्य 10 गणधरों के साथ मौजूद है। सर्कल के सामने के पी संघवी समूह और पावापुरी के संस्थापक स्वर्गीय श्री हजारीमलजी संघवी की प्रतिमा है। वह मूल रूप से इंद्रभूति एक बहुत ही विद्वान हिंदू ब्राह्मण थे, जिन्होंने उनके पूछने से पहले ही भगवान द्वारा उनके सभी संदेह दूर कर दिए जाने के बाद जैन धर्म स्वीकार कर लिया था। दीक्षा लेने के बाद गौतम स्वामी, महावीर स्वामी भगवान के पहले शिष्य बने। उनका अनुसरण करते हुए अन्य 10 ब्राह्मणों ने भी अपने संदेह दूर किए और दीक्षा ली और कुल मिलाकर, वे 11 गणधर बन गए जिन्होंने भगवान महावीर की शिक्षाओं को आगे बढ़ाया।
केपी सांघवी समूह आने वाली पीढ़ियों के लिए संस्कृति को संरक्षित करने में गहरी आस्था रखता है - भव्य पावापुरी मंदिर इस दर्शन का प्रमाण है पावापुरी के सक्षम तत्वावधान में, केपी सांघवी समूह जैन धर्म के विभिन्न पहलुओं - भाषा, धर्म, संस्कृति, मूल्यों, कहानियों, कला और वास्तुकला की रक्षा, पुनर्स्थापित और सम्मान कर रहा है। पावापुरी वास्तव में कला और साहित्य के माध्यम से जैन धर्म की सुंदरता को संरक्षित करने का एक चमकदार उदाहरण है।
संग्रहालय उन टुकड़ों को प्रदर्शित करता है जो तीर्थंकरों के जीवन की सबसे यादगार घटनाओं को दर्शाते हैं। यह कला प्रेमियों और भक्तों के लिए जैन धर्म के इतिहास में महत्वपूर्ण हस्तियों के जीवन से ज्ञान प्राप्त करने का एक सुंदर स्थान है। यहां की आर्ट गैलरी में मौजूद सभी कलाकृतियां किसी न किसी तरह से जैन धर्म से जुड़ी हुई हैं।
✨ LIBRARY ✨
✨ENVIRONMENT✨
------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
Night View
Yaatri Bhavan
🙏🏻😊Thank You🙏🏻😊
प्रभु तमारा पगले पगले पा पा पगली मांडी छे,
हवे तो अक्षर पाडो हरिवर, मारी कोरी पाटी छे, (2)
बाळक छुं हुं मने खबर क्यां...
शुं छे साचुं जीवन?
पडी जाउं नां क्यांय प्रभु (2),
करो रोम रोम संजीवन,
सिंचन करजो मारा कण कण मां,
मारी सुक्की माटी छे प्रभु तमारा पगले पगले पा पा पगली मांडी छे,
बाळक पकडे मां नी आंगळी,
एम हुं जालुं छुं तमने,
वर्षा राणी भरे सरोवर (2),
एम भरी दो अमने,
अमे अमारी हथेळीओ मां,
मिलन नी रेखा आंकी छे प्रभु तमारा पगले पगले पा पा पगली मांडी छे|
Watch on YouTube: Prabhu Tamara Pagle Pagle
तेरे दरबार वो ही फरियाद आती हैं,
जिसकी तु चाहे दादा, पुरी हो जाती है
तेरे दर पे सर झुकाएं मैं भी तो आया हूं,
जिसकी भी बिगड़ी हैं उसकी बन जाती हैं ॥
मैं नाकोड़ाजी जाऊंगा,
मैं भैरूजी को अपने दिल में बसाऊंगा,
मैं ढोल-मंजीरा लेके, गीत गुण गाऊंगा,
नाकोड़ा के भैरव नाथ
रहते भक्तो के साथ
जिसने प्रेम से लिया भैरव नाम रे
काम कोई भी कर नहीं पाया, घूम लिया संसार में,
आखिर मेरा काम हुवा हैं नाकोड़ा दरबार मे,
दादा, मेरे दादा, मेरे दादा, दादा,
तेरा और मेरा, जन्मो का हैं नाता ।।