शुक्रवार, 29 दिसंबर 2023
गुरु तेरे चरणों की, गर धूल जो मिल जाये
(तर्ज-तू प्यार का सागर है... सीमा)
गुरु तेरे चरणों की, गर धूल जो मिल जाये,
सच कहती हूँ मेरी, तकदीर संवर जाये।
गुरु तेरे चरणों की ॥ टेर ॥
सुनते हैं दया तेरी, दिन रात बरसती है,
एक बूंद जो मिल जाये, मन की कली खिल जाये
॥ गुरु ॥
ये मन बड़ा चंचल है, कैसे तेरा ध्यान धरूँ,
जितना इसे समझाऊँ, उतना ही मचल जाये
॥ गुरु ॥2 ॥
नजरों से गिराना नहीं, चाहे जितनी सजा देना,
नजरों से जो गिर जाये, मुश्किल से संभल पाये
।। गुरु ।। 3 ।।
मेरे इस जीवन की, बस यही तमन्ना है,
तुम सामने हो मेरे और प्राण निकल जाये
।। गुरु ।। 4 ।।