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जैन धर्म की महिमा

सब जाए तो जाए

 

सब जाए तो जाये मेरा जैन धर्म नही जाये।

सब जाये तो जाये मेरा जैन धर्म नही जाये ॥

 

धर्म की खातिर महावीर स्वामी २

भारत भू पर आए, मेरा जैन धर्म... ॥१॥

 

धर्म की खातिर पार्श्व प्रभुजी २

जलते नाग बचाए, मेरा जैन धर्म... ॥२॥

 

धर्म की खातिर चंदन बाला २

उड़द बाकले खाये, मेरा जैन धर्म... ॥३॥

 

धर्म की खातिर सेठ सुदर्शन, २

सूली पर चढ़ जाए, मेरा जैन धर्म...॥४॥

 

धर्म की खातिर मैना सुंदरी २

कोढ़ी संग ब्याह रचाए, मेरा जैन धर्म... ॥५॥

 

प्रभु म्हारा हेय्या थारा

प्रभु म्हारा हैय्या थारा, आरा रे प्रभुजी म्हारा,

तमारा चरणां मां, म्हाने राख जोड़ी।।

आप बणों दूध तो, उरे बणुं माखन,

दूध मा माखन समाया रे प्रभुजी म्हारा ॥ १ ॥

प्रभु म्हारा हैय्या…

 

आप बणों पुष्प तो, उरे बणुं गंधा,

पुष्प मा गंधा समाया रे प्रभुजी म्हारा ॥ २ ॥

प्रभु म्हारा हैय्या....

 

आप बणों दीप तो, उरे बणुं बाती,

दीप मा बाती समाया रे प्रभुजी म्हारा ॥ ३ ॥

प्रभु म्हारा हैय्या…

सबमें देखूँ श्री भगवान

सबमें देखूं श्री भगवान, सबमें देखूं श्री भगवान।

ऐसी शक्ति दो भगवान, ऐसी शक्ति दो भगवान ॥

हर प्राणी में महाप्राण का तत्व समाया है अनजान,

पहचाने उस परम तत्व को ऐसी दृष्टि दो भगवान ॥१॥

 

सबमें देखूं श्री भगवान...

हम सब है माटी के दिए सबमें ज्योति एक समान,

सबसे प्रेम हो सबकी सेवा ऐसी सन्मति दो भगवान ॥२॥

 

सबमें देखूं श्री भगवान…

देख किसी को मन मैला तो, मन में धरे तुम्हारा ध्यान,

मन हो जाए तेरा मंदिर, ऐसी शुद्धि दो भगवान ॥३॥

 

सबमें देखूं श्री भगवान…

आँखों में हो करुणा हरदम, होठों पे हो मंद मुस्कान,

हाथों में हो श्रम और सेवा, ऐसी शक्ति दो भगवान ॥४॥

 

सबमें देखूं श्री भगवान…

द्वेष नहीं हम बिन द्वेष हो, मंगलमय हो तन मन प्राण,

चंद निहारे सबमें उसको, जो सबका मालिक भगवान ॥५॥

सबमें देखूं श्री भगवान...

 

नमस्कार महामंत्र सब मिल आओ मंत्र गुण गाओ

नमस्कार महामंत्र सब मिल आओ मंत्र गुण गाओ

तर्ज : हे राम हे राम.....

 

सब मिल आओ मंत्र गुण गाओ

चौदह पूरव का है सार, नवकार - नवकार... ॥

णमो अरिहंताणं बोलो, णमो सिद्धाणं,

सबको वंदन हजार, नवकार नवकार... ॥१॥

 

णमो आयरियाणं बोलो, णमो उवज्झायाणं,

देते है सुःख अपार, नवकार नवकार... ॥२॥

 

णमो लोए सव्व साहूणं बोलो, ऐसो पंचणमुक्कारो,

करते है भव से पार, नवकार- नवकार... ॥३॥

सव्व पाव पणासणों, मंगलाणंच सव्वे सिं,

सब मंगल का है सार, नवकार नवकार... ॥४॥

 

पढ़म हवई मंगलम बोलो २ जिन शासन श्रृंगार

नवकार - नवकार, सब मिल आओ मंत्र गुण गाओ... ॥५॥

नवकार जपने से...

नवकार जपने से...

 

नवकार जपने से सारे सुख मिलते है,

जीवन में तन-मन के सारे दुःख मिटते है, 

जाप जपो जपते रहो, बंधन कटते है,

मन उपवन में खुशियों के फूल खिलते है ॥१॥

नवकार जपने से....... 

 

अड़सठ अक्षर है इसके, हां इसके,

जो ध्याता है दुःख टल जाते उसके,

परमेष्ठी पांचहै पावन, हां पावन,

नवपद जी भी पवित्रहै मन भावन ॥ २ ॥

जाप जपो जपते रहो….

 

पापों से बचकर रहना, हां रहना,

दुःख आए तो हंसते हंसते सहना,

नवकार करेगा रक्षा, हां रक्षा,

ये अरिहन्त है प्रसन्नता का नक्शा ॥ ३ ॥

जाप जपो जपते रहो......

 

जब कोई हमसे रूठे,हां रूठे,

दिल टूटे और रिश्ता कोई टूटे,

मन मे न उदासी लाना, नहीं लाना,

परमेष्ठी से दिल का नाता लगाना ॥४॥

जाप जपो जपते रहो....

अरिहन्तो को नमस्कार

अरिहन्तो को नमस्कार

 

अरिहन्तों को नमस्कार,श्री सिद्धों को नमस्कार,

आचार्यों को नमस्कार, उपाध्यायों को नमस्कार,

जग में जितने साधुगण है, मैं सबको बंदू बार-बार

अरिहन्तों को नमस्कार…

 

ऋषभ, अजित, संभव, अभिनंदन सुमति पद्म सुपार्श्व जिनराय,

चंद्र, पुष्प, शीतल, श्रेयांस, नमि, वासुपूज्य पूजित सूरिराय,

विमल, अनन्त, धर्म, जस, उज्जवल, शांति, कंथुंअर  मल्लिमनाथ,

मुनि सुव्रत नमि नेमि पार्श्व प्रभु, वर्धमान पद पुष्प चढ़ाय,

चौबीसो के चरण कमल में, मेरा वन्दन बार बार,

अरिहन्तों को नमस्कार......

 

जिसने राग-द्वेष कामादिक, जीते सब जग जान लिया,

सब जीवों को मोक्ष मार्ग का, निस्पृह हो उपदेश दिया,

बुद्ध वीर या हरि-हर ब्रम्हा, या जिनेन्द्र हो या अवतार,

सबके चरण कमल में मेरा वंदन होवे बार-बार

अरिहन्तों को नमस्कार....

 

अहो अहो श्री सद्गुरु, करुणा सिंधु अपार,

आ पामर पर प्रभु कर्यो, अहो अहो उपकार,

जे स्वरूप समज्या बिना, पायो दुःख अनंत,

समजाव्यु दे पद नमु, श्री सदगुरु भगवन,

परम पुरुष प्रभु सदगुरु, परमज्ञान सुख धाम

जेणे आप्यू भान निज, तेने सदा प्रणाम,

देह छतां जेनी दशा, वर्ते देहातीत,

ते ज्ञानीनां चरणमा, हो वंदन अगणित।

नवकार मंत्र की महिमा

नवकार मंत्र की महिमा

(समरो मंत्र भलों नवकार)

 

समरो मंत्र भलो नवकार, ऐछे चौदह पूर्व नो सार,

ऐनी महिमा नो नही पार, ऐनो अर्थ अनंत अपार,

सुखमा समरो दुःखमा समरो, समरो दिवसन रात,

जीवंता समरो मरता समरो, समरो सौ संघात ॥ १ ॥

 

समरो मंत्र भलो नवकार....

जोगी समरे भोगी समरे, समरे राजा रंक,

देवो समरे दानव समरे, समरे सौनिः शंक ॥ २ ॥

 

समरो मंत्र भलो नवकार....

अड़सठ अक्षर एना जानो, अड़सठ तीरथ सार,

आठ सम्पदा थी परिमाणो अष्ट सिद्धि दातार ॥ ३ ॥

 

समरो मंत्र भलो नवकार....

नवपद एना नवा निधी आपे, भव भवना दुःख कापे

वीर वचन थी हृदय स्थापे, परमातम पद आपे ॥ ४ ॥

 

समरो मंत्र भलो नवकार.... 

आबु अष्टापद गिरनार, सम्मेत शिखर शंत्रुजंय सार,

ये पांचो उत्तम धाम, सिद्ध गयानी थने करुं प्रणाम ॥ ५ ॥

समरो मंत्र भलो नवकार.....

 

चिंतामणि
आणी मनशुद्ध आस्ता, देव जुहारु शास्वता, पार्श्वनाथ मनवांछितपुर, चितामणि म्हारी चिता चूर ॥१॥
श्री घंटाकर्ण महावीर स्तोत्र

ॐ घंटाकर्णो महावीरः सर्वव्याधि-विनाशकः।         विस्फोटक भयं प्राप्ते, रक्ष-रक्ष महाबलः ॥1॥

नमोकार मंत्र है न्यारा | लता मंगेशकर

नमोकार मंत्र है न्यारा इसने लाखों को तारा..(2)                    इस महा मात्र का जाप करो,                     भव जल से मिले किनारा...