पार्श्व जिणंदा वामाजी केनंदा, तुम पर वारी जाऊंबोल बोल रे, 
हां रे दरवाजे तेरे खोल खोल रे, पार्श्व जिणंदा...
दूर दूर देश से, लंबी सफर से
हम दर्शन आए तोल तोल रे
हां रे दरवाजे तेरे खोल खोल रे...॥१॥

पूजा करूंगी, धूप करूंगी,
फूल चढ़ाऊंगी मोल मोल रे
हां रे दरवाजे तेरे खोल खोल रे...॥२॥

तू मेरा ठाकर मैं तेरा चाकर,
एक बार मुख सुं बोल बोल रे,
हां रे दरवाजे तेरे खोल खोल रे...॥३॥

श्री शंखेश्वर सुंदर मूरत,
मुंखडुं तो झाकम झोल झोल रे,
हां रे दरवाजे तेरे खोल खोल रे...॥४॥

रूप विबुधनों, मोहन पभणे,
रंग लाग्यो चित्त चोल चोल रे,
हां रे दरवाजे तेरे खोल खोल रे...... ॥५॥