केवुं धन्य जीवन जीवे छे मुनिराय, 
निरखुंने आंखोमां, अमृत छलकाय… 

दुः ख दे ना कोईने, सहन करे छतांय, 
मुखडा पर समताने, शांति सदाय… निरखुं ने… (१) 

जरूरत विचारे, पसंदगी न राखे, 
शोधे निर्दोष जिनवचनोनी साखे; 
धैर्य एनुं एवुं के मेरु शरमाय… निरखुं ने… (२) 

जो मळशे तो करशुं, मनथी संतुष्टि, 
मुनिवरना भावोनी, शुं वात थाय… 
निरखुं ने… (3)