शनिवार, 7 अक्तूबर 2023
यह चादर भई पुरानी
तर्ज- छोड़ गये बालम
यह चादर भई पुरानी, तू सोच समझ अभिमानी
टुकड़े-टुकड़े जोरि जुगत सो,
सींक अंग लपटानी।
कर डारी मैलो पापन सौ,
लोभ मोह में सानी ॥१॥
ना यहि लग्यो ज्ञानको साबुन,
नहि भक्ति को पानी ।
सारी उमर ओढ़ते बीती,
भली बुरी नहीं जानी ॥२॥
मन मानी मत कर अज्ञानी,
यह है चीज विरानी।
कबीरा या को राख जतमसो
फेर हाथ नहि आनी ॥३॥