शनिवार, 7 अक्तूबर 2023
जब मन विर गाये
तर्ज- जागो है विर के प्यारे
जब मन विर गाये मन का अंधेरा जाये
ज्ञान का प्रकाश पाये, जागो हे मेरे मन महावीर स्वामी
जागो रे जागो रे जागो दुनिया जागो 2.
मगर नगर सब सथ मलियाँ जागी
जागो रे जागोरे जागोरे २
जागो विर रे प्यारे जागो
नवयुग तुमको आगे बुलाऐ ॥ धृ ॥
दुखी दुखी भव से क्यो प्रीत लगाये
मोह माया तुझे पार न लाये
बाहे फैलाओ दुखीयारे….
जागो ॥1॥
भिगी भिगी अखीयों से मन को संभाले
करदे तु अपने को प्रभु के हवाले
दुख को हरेगा वो मन को संभाले
जागो ॥२॥
मुश्किल से यह नर तन पाया
व्यर्थ में इसको युं ही गवाया
शिल संयम तप मन में धारों
जानो ॥३॥