प्रभु की भक्ति में 

         तर्ज- सज रही गली मोरी मां... 

 

 

कर ले भजन दिन रात, प्रभु की भक्ति में 

प्रभु की शक्ति में गुरु की भक्ति में       ॥धूपदा।।

 

सोना चांदी सारे महल रह जायेंगें, हाथी घोड़े 

             मोटर बगीचे रह जायेंगे 

रहना मगन दिन रात, प्रभु की भक्ति में                 ||१||

 

काहे को राजाता तिजोरी और बंगला, आया हैं। 

            अकेला जायेगा तू अकेला 

मिलेगा किनारा भवपार, प्रभु की भक्ति में             ॥२॥

 

दूर रहना प्यारे लड़ाई झगड़े से कुछ ना मिलेगा 

           इन झूठे लफड़ो से 

कर ले जीवन को निसार, प्रभु की भक्ति में            ||३||

 

कहता "ऋष" समझ मेरे भाई, काहे को बिगाडे 

           जनम सुखदाई

होगी एक दिन तेरी जीत, प्रभु की भक्ति में            ||४||