पलक-पलक तोरी जाये उमरिया 

जाके फिर ना आये उमरिया             

 

है चंचल धारा सा जीवन 

छाया मद में जैसे सावन 

कौन किसे समझाये रे पागल 

अपने आप गुजरती उमरिया 

 

चलता अकड़ कर तु मतवाले 

मन पर तेरे पड़ गयें ताले 

कंजन काया राख बनेगी 

मिट जायेंगी तेरी उमरिया 

कीमत ना समझे तू जीवन की  

तोड़ दी माला तूने जीवन की 

पाप करम से बीते पल-पल 

पायेगी दुःख तेरी उमरिया 

 

कहता "ऋषभ" कैसा ये मेला 

पगले तुझकोजाना अकेला  

रह जाये सब माया तेरी 

ऐसी है रे तेरी उमरिया