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महावीर स्वामी - अन्तरयामी

(तर्ज - सौ साल पहले (जब प्यार किसी से होता है) 

सदियों से तेरा जिनवर दुनिया में नाम था सब की जुबान था। 
महावीर स्वामी-अन्तयामी  
अनुपम त्रिशला मां का सबको पैंगाम  ॥ जग को सन्देश था। 
महावीर स्वामी-अन्तरयामी ॥

श्री चौबीसवां अवतार महावीर बनकर आया था
और सिद्धारथ के घर नया संसार बसाया था। 
माता- पिता ने दिया, वर्धमान नाम था केवल ज्ञान नाम था। 
महावीर स्वामी ॥ 

पूर जोश यौवन आया तो तुम त्यागी बन चल निकले 
और कठिन तपस्या से खपायं कर्मों को अपने 
कर्मों से लड़ना वीर का संग्राम था तपस्या का फल था। 
महावीर स्वामी ॥ 

जिन धर्म की राहों में जीवन की ज्योत जला डाली
और युवक मण्डल को, पीला दी अमृत की वाणी 
पल भर न तू प्रभु, करता विराम था । जरा ना आराम था
महावीर स्वामी ॥

- Stavan Manjari

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