तर्ज उड-उडरे-म्हारा कालारे-कागला 

 

सुन सुनरे, सुन सुनरे 2 म्हारा भरत लाडला 

कद म्हारो रिष भो घर आसी -कद म्हारो ...

सुन सुनरे... 

 

मां मरुदेवी थांरो रिषभ लाडलो 

राज छोड़ गयो कासी 

कद म्हारो...



राज पाट और सुख ने छोड्यो 

झूठी ममता सुं- मुख मोइयो

राज छोड़ गयो बनवासी 

कद म्हारो...

 

पाल्यो पोस्यो लाड लडायो 

हरख कोड़ म्हे घणो मनायो 

मां मां कह अब कुण आसी 

कद म्हारो...

 

त्याग तपस्या से फल मोटो 

स्वारथ जगत में घणों हो खोटो 

पुण्य किवा मुफ्ती पासी

कद म्हारो...

 

सुख और दुख ने एक हो लान्यो  

मां री ममता भी ज पिछाण्यो 

राज छोड़ गयो बनवासी 

कद म्हारो...

- Stavan Manjari