Personal menu
Search
You have no items in your shopping cart.

श्री नाकोड़ा भैरव अमृतवाणी
श्री नाकोड़ा भैरव अमृतवाणी

शंखेश्वर को नमन करूं, पुजू गोड़ीजी पाय,

नाकोड़ा के दर्शन से, दुःख सकल मिट जाए ।

नाकोड़ा भैरव प्रभु, सुमंधा थारो नाम,

जीवन सफल बनावे जो, सिद्ध सकल हैं धाम ।

हर जनम में भैरव तेरा साथ चाहिए
हर जनम में भैरव तेरा साथ चाहिए

हर जनम में भैरव तेरा साथ चाहिए,

सर पे मेरे दादा तेरा हाथ चाहिए ।

सिलसिला ये टूटना नहीं चाहिए,

मैं धाम नाकोंडा आया
मैं धाम नाकोंडा आया

मेवानगर में पार्श्व प्रभु का द्वारा है,

ऐसा लगता जमी पे स्वर्ग उतारा है,

चारो ओर ही गूंज रहे जयकारे,

दादा तेरी तस्वीर
दादा तेरी तस्वीर

दादा तेरी तस्वीर सिरहाने रखकर सोते हैं,

यही सोचकर अपने दोनों नैन भीगोते है,

नाकोड़ा वाले सुन लेना
नाकोड़ा वाले सुन लेना

नाकोड़ा वाले सुन लेना एक सवाल दीवाने का,

अगर समझ में आ जाए, तो भक्तो को समझा देना ।

 

गावो गीत वधावो गुरू ने (हिंदी & गुजराती)
गावो गीत वधावो गुरू ने (हिंदी & गुजराती)

गावो गीत वधावो गुरू ने
मोतीडे चोक पुरावो…
चार-चार आंगण चतुर शु आव्या (२)
गावो गीत रसाली रे…
आज मारे दीवाली… अजवाळी

आव्यो शरणे तमारा जिनवर

आव्यो शरणे तमारा जिनवर करजो आश पूरी अमारी 

नाव्यो भवपार मारो तुम विण जगमां सार ले कोण मारी 

गिरनारी नेमिनाथ दादा – अभिषेक स्तुति
गिरनारी नेमिनाथ दादा – अभिषेक स्तुति

(गिरनारी नेमिनाथ दादा – अभिषेक स्तुति) 

 

गिरनार पर प्रभु नेम ना, अभिषेकनो पावन समय 

प्रभु नेमिनाथ जिनालये, वातावरण शुभ भावमय 

ते परम पावन द्रष्य मारा, नेत्र ने निर्मल करो 

नेमिनाथनी अभिषेक धारा, विश्वनु मंगल करे… (१) 

 

श्यामल प्रभुना मस्तके, निरखु हु क्षीरधारा धवल 

रोमांच अनुपम अनुभवु, गद-गद हृदय लोचन सजल 

प्रत्येक आत्मप्रदेशे नेमि, प्रितने निश्चल करो 

नेमिनाथनी अभिषेक धारा, विश्वनु मंगल करे… (२) 

 

अभिषेकना सुप्रभावथी, विध्नो तणो थाओ विलय 

सर्वत्र आ संसारमा, शासन तणो थाओ विजय 

सुख शांति पामे जीव सहु, करुणा सुवासित दिल करो 

नेमिनाथनी अभिषेक धारा, विश्वनु मंगल करे… (३) 

 

अभिषेकना सुप्रभावथी, भावतापनु थाजो शमन 

उर केरी उखर भूमिपर, सम्यक्त्वनुं थाओ वपन 

मिथ्यात्व मोह कुवासना, कुमति तणों सवि मल हरो 

नेमिनाथनी अभिषेक धारा, विश्वनु मंगल करे… (४) 

 

अभिषेकना सुप्रभावथी, गिरनार नो जय विश्वमा 

महिमा महा गिरिराज नो, व्यापी रहो आ विश्वमा 

आ तीर्थ ना आलंबने, भवि जीव शिव मंजिल वरो 

नेमिनाथनी अभिषेक धारा, विश्वनु मंगल करे… (५)

याद नथी भूलवी सहेली
याद नथी भूलवी सहेली

शीदने आवडी कीधी उतावळ, बोलो ने गुरु मा.. 

नेण ढळे छे आंसुने भारे, पाछा वळो गुरु मा.. 

जब कोई बात बिगड जाये

सद् गुरू सत्य जणावे छे 

सद् गुरू धर्म भणावे छे