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जीवन में हो ऐसी घडी

जीवन में हो ऐसी घड़ी
मन में बस जाये मुरत तेरी 2
ये जीवन है दर्शन का प्यासा
प्यास बुझती हैं कब तक मेरी 2

गुरु वंदना

गुरुदेव ! तुम्हे नमस्कार बार बार हैं
श्रीचरण शरण से हुआ, जीवन सुधार है ।।गुरुदेव।। 
अज्ञान - तम हटाके ज्ञान ज्योति जगा दी
दृढ आत्मज्ञान में अखण्ड दृष्टी लगा दी

श्री घंटाकर्ण महावीर स्तोत्र

ॐ घंटाकर्णो महावीरः सर्वव्याधि-विनाशकः।
विस्फोटक भयं प्राप्ते, रक्ष-रक्ष महाबलः ॥1॥
यत्र त्वं तिष्ठसे देव! लिखितोऽक्षर-पंक्तिभिः।
रोगास्तत्र प्रणश्यन्ति, वात पित्त कफोद्भवाः ॥2॥