भक्ती पारसरी .......३ 

प्रभु पारस रा गुण गावें  

अहिंसा परमों धरम सुणावें 

करे ई दिल ने नहीं सतावें  

भक्ती पारसरी ........२ ओ भक्ती पारसरी 

 

हो अश्वसेन घर खुशीया छायी  , माता वामा बाटे बधाई 

जन्मे पारस प्रभु भाई, भक्ती पारसरी .......२          ।।१।।

 

 जन्म रे साथ ज्ञान है जन्मो, कमठ से ज्ञान प्रभु हैं दिनो  

घमंड रे सिर ने पुर हैं किनो, भक्ती पारसरी .......२   ॥२॥ 

 

हो अवधी ज्ञान सु नाग बचायो, मंत्र महा नवकार सुनायो 

वेने मोक्षरे द्वार पहुंचायो, भवती पारसरी .........२       ॥३॥ 

एक साल तक दान हैं दिनो, लोभ मोह ने दूर है कीनो 

पोष में दिक्षा ज्ञान है दिनों, भक्ती पारसरी        ॥४॥ 

 

घोर कठीण तप जब है किनो, मेघमालीने बदलो लिनो 

पानी कंठो तक कर दिनो, भक्ती पारसरी        ॥५॥ 

 

नाग ने आकर फन फैलायो, मेघमाली रो मान घटायो 

मास सावन निर्वाण है पायो, भक्ती पारसरी ........४