(तर्ज- हम सफर मेरे हम सफर)

वीर भगवान तुझे शरण लोग करते हैं नमन 
बिन की कार में हम गा रहे भक्ति सुमन 
वीर भगवान  तुझे शरण लोग करते हैं नमन 
साज की आवाज पर हम गारहे श्रद्धा सुमन 
वीर भगवान ॥1॥ 

नाथ की मूर्ति चमकती किरणों सी सदा 
लग रही मुस्कान मानों मधुर सरगम को सूधा 
छु रहे है पादुकायें, आसमाँ धरती गगन २ 
वीर भगवान ॥2॥ 

कब मिटेगा तम हृदय का, आत्मा के ज्ञान से 
कब छुटेगी आत्मा यह, कर्म के जंजाल से 
हम करे सुमिरन प्रभु का मन मेरा चरणे मगल 2 
वीर भगवान ॥3॥