तो खरा सुखी श्रीमंत
ज्या मुखी णमो अरिहंत ।। धृ. ।।
जो मंत्र नित्य हा गातो
तो आनंदातच न्हातो
जप करे णमोकाराचा
पाचाही परमेष्ठींचा
तो श्रावक जैन जिवंत | | 1 | |
ज्या मुखी णमो अरिहंत!
तो खरा सुखी श्रीमंत
ज्या मुखी णमो अरिहंत!
कर जोडूनिया भक्तिने
जो अरिहंताना वंदे
पुरुषोत्तम उत्तम जे जे
त्या पुढे नमे आनंदे
माणूस नव्हे तो संत | | 2 | |
ज्या मुखी णमो अरिहंत!
तो खरा सुखी श्रीमंत
ज्या मुखी णमो अरिहंत!
सुख समाधान संतोष
जागवी जिवा बेहोष
करि दुःख दूर अन् क्लेश
हा मंत्र घोष उन्मेष
हा मूर्तिमंत भगवंत | | 3 | |
ज्या मुखी णमो अरिहंत!
तो खरा सुखी श्रीमंत
ज्या मुखी णमो अरिहंत!
घ्या श्वास णमोकाराने
घ्या घास णमोकाराने
घ्या श्वास णमोकाराचा
या मंत्राच्या घोषाने
ना खेद उरे ना खंत | | 4 | |
ज्या मुखी णमो अरिहंत!
तो खरा सुखी श्रीमंत
ज्या मुखी णमो अरिहंत!
संगीत धुन स्वर्गीय
या णमोकार मंत्रात
अंजन हा मूर्छित नेत्री
हे जाण पुढे चल यात्री
जप मंत्र मनाने संथ | | 5 | |
ज्या मुखी णमो अरिहंत!
तो खरा सुखी श्रीमंत
ज्या मुखी णमो अरिहंत!
Source - nk shete