गुरुवार, 12 अक्तूबर 2023
(तर्ज : स्वरचित)
दादा देने वाले हैं, हम लेने वाले हैं
आज खाली हाथ नही जाना, जिसे चाहिये वो हाथ उठाना
|| अन्तरा ||
रोज रोज माँगने का झंझट ही छोड़ दो-२
जिसको जितना चाहिये वो, आज मुख से बोल दो।
आज अच्छा मौका है, किसने तुमको रोका है।
बिल्कुल नहीं शरमाना... जिसे चाहिये ||१||
लाखों लाखों लेने वाले, दातारी एक हैं-२
पल में बदल देते, किस्मत की रेख है।
भक्त थोड़े ज्यादा हैं, देने वाले दादा हैं।
सबसे पहले हाथ उठाना ... जिसे चाहिये ||२||
हाथ में ना आए तो, झोली पसार दो-२
खूब लेके जाना आज, दादा के दरबार से।
झोली भर जाए तो काम बन जाएँगे।
जैन मण्डल गुण गावे जिसे चाहिये ||३||