प्रभू की प्रतिष्ठा करो 
             तर्ज - में तो भूल चली... 

 

मिल गाये सभी नर नार 
प्रभू को प्रतिष्ठा करो
अवसर यह मिले ना बार बार
प्रभु की प्रतिष्ठा......  

 

अपने नगर में अवसर हैं आया २ 
चारो तरफ हैं आनंद ये छाया  २ 
हो    करो वंदन प्रभु को हजार 
प्रभु की प्रतिष्ठा.....  ॥१।। 
 
 
पुण्य उदय हैं प्रगटे ये हमारे 2 
स्वामी हमारे आज आंगन पधारें २ 
हो    बंद करना ना भीतर के द्वार 
प्रभू की प्रतिष्ठा….    ||२|| 

 

अंतर का आंगन है आज सजा लो 2 
मन में प्रभू की तुम मुरत बिठा लो २ 
हो    फिर क्या कर सके ये संसार ... 
प्रभु की प्रतिष्ठा        ॥३॥ 
 
 
अवसर सुहाना हैं फिर ना मिलेगा 2 
मन का कमल जाने कब यह खिलेगा २ 
हो   खोलो आंज तिजोरी द्वार
प्रभु की प्रतिष्ठा        ॥४॥   
 
 
देखो प्रभू का हैं प्रभु का है सुन्दर ये मुखडा २ 
धरती पे उतरा है चांद सा तुकहा २ 
हो   जले स्नेह के दिप हजार 
प्रभू को प्रतिष्ठा        ॥५॥