“निर्वाण कल्याणक आरती"
जय जगदीश्वर अति अलवेसर वीर प्रभु राया
पतित 'उद्धरण भव भय भंजण बोध बीज पाया
जय जय जिन राया, आरती करूं मन भाया,
होय कंचन काया जय जय जिन राया।
क्षत्रिय कुंड नगर अंति सुन्दर सिद्धारथ राया
सुदी अषाढ़ छट्ट के दिवसे त्रिशला कुक्षी आया। जय...
चौद सुपन देखी अति उत्तम जिन प्रीतम भाखे
अरथ भेद सहु निश्चे करिने जिन गुण रस चाखे। जय...
चैत्र सुदि तेरस दिन उत्तम सहु ग्रह उच्च पावे
जन्म देई दिश कुमरी सहुना आसन कंपावे। जय...
उच्छव कर जावे निज थानक इन्द्र सहु आवे
मेरू शिखर पर स्नात्र महोत्सव अचरज सहुं पावे। जय...
कंचन वरण तेज अति दीपत हरि लंछन छाजे
कुल इक्ष्वाकु अंग सहु लक्षण शशि ज्यों मुख राजे। जय...
दान संवत्सर दे प्रभु लेवे, चारित्र सुख दाई
मार्ग शीर्ष दशमी वदी पक्षे, उत्तम तरू पाई। जय...
बारे बरस छद्मस्थापना में दुष्कर तप पाले
भादव सुद दशमी के दिन कुं दोष सहु टाले । जय..
केवल पाये सभी सुर संगे पावापुरी आवे
गुण गणलंकृत देशना दे के संघ सहु पावे। जय...
भूमंडल बीच बहु जीव को अविचल सुख देवे
सुरनर इन्द्र सभी मिल पूजे जग में यश लेवे। जय...
चरम चौमासा पावापुरी करके अंत समय जाणी
हस्त पालकी शुक्ल साल में सोले पहर जाणी। जय...
परियंकासन छट्ट तपस्या, एक चित्त गुण धामी
कार्तिक कृष्ण अम्मावस के दिन, शिव कमला पामी। जय...
इन्द्रादिक निर्वाण महोत्सव करि प्रभु गुण गावे
देव मुणे गणधर गुरू गौतम सुण ने पछतावे। जय...
वीतराग गुरू मन में धारी अनित्य भाव भावे
केवल ज्ञान प्रगट होय तत्क्षण सुरनर गुण गावे। जय...
निर्वाण कल्याणक शासन पति की आरती ज्यों गावे
शिव सुख लक्ष्मी प्रधान मिले जब मोहन गुण गावे । जय...
महावीर स्वामी का चैत्यवंदन
जगनाथ जगदानंद जगगुरू, विमल केवल भास्करम्
संसार सुखकर जगत हितकर, नमो वीर जिनेश्वरम् ।।
भव ताप हर्ता शांति कर्ता मुक्ति मार्ग स्फुटकरम्
निज दिव्य अनुभव आत्म सुखकर, नमो वीर जिनेश्वरम् ॥
हेय ज्ञेय पदार्थ जग सब, उपादेय दिवाकरम्
विज्ञान विशद विवेक दिनकर, नमो वीर जिनेश्वरम् ॥
प्रकाशता प्रभु ध्यान ध्याता ध्येय गुणकर शोभितम्
सर्व वांछित पूर जिनवर, नमो वीर जिनेश्वरम् ॥
जिनराज सुख भगवान दिल धर, त्रैलोक्य दीपक शिवकरम्
आनंद परमानंद पावे नमो वीर जिनेश्वरम् ॥
दीपावली की स्तुति
सिद्धारथ त्राता जगत विख्याता, त्रिशला देवी माय ।
जिहां जग गुरु जनम्या सब दुख विरम्या महावीर जिनराय ।।
प्रभु लेई दीक्षा करि हित शिक्षा देई संवच्छरी दान ।
सहु करम खपेवा शिव सुख लेवा कीधी तप शुभ ध्यान ।।
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