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कुशल करना.. कुशल करना..

(स्तवन : कुशल करना.. कुशल करना..) 

कुशल करना कुशल करना, कुशल गुरुराज शासन में। 
तुम्हीं हो शक्तिमय निज भक्त, विघ्नों के विनाशन में ।।टेर।।

महा अन्धेरे में सोते, निरख लो अपने भक्तों को। 
उठाकर आप अब जल्दी, लिवा लाओ प्रकासन में ।।कु.१।। 

अपूरब अपनी ज्योति का, दिखावें आप अब जल्वा । 
कि जिससे जोस भी फैले, हमेशा खूब तन-मन में । कु.२।। 

हैं भूले भक्त पर तुमको, भुलाना यों न लाजिम है। 
दुआ है आपसे इतनी बढ़ा दो भक्त जन धन में ।।कु.३।।

सदा 'हरि' आपकी स्वामी दया की वेल भक्तों पर। 

करे छाया, हरे माया, अशान्ति हो न जीवन में ।।कु.४।।

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