(तर्ज : कसमें वादे प्यार वफा...) 

 

अजमेर का एक सितारा, चमका था आकाशों में २ 

जैन संघ का बना था नायक, देखा सारे भक्तों ने ॥ध्रुव।। 

 

                        ।। अन्तरा ।। 

 

था वो मसीहा इस दुनिया का, कोई कैसे भुलायेगा, 

हरपल हर घड़ी इस मूरत को, इन नैनों में बसायेगा, 

गाते हैं ऽऽऽ-२ ये भक्त दिवाने, फिर कब दर्श दिखायेगा ||१|| 

 

दर्शन करने आये थे जब, झोली तूने भर दी थी, 

दुःखियारे की दुःख की कहानी चरणों में ही मिटती थी, 

नाव पड़ीऽऽऽ-२, मझधार में मेरी, तुझ बिन कौन उबारेगा ||२|| 

 

पावन धरती पर हम बैठे, आस लगाये किरपा की, 

सूना हो गया अब ये सिंहासन, कौन सुनेगा भक्तों की, 

खाये हैंऽऽ-२ इस जगत में धोखा, तुम बिन कौन बचायेगा ||३||