जय पार्श्व  हरे 
जय पार्श्व हरे, जय पार्श्व  हरे  दुखियों दुख के दूर करे 
जय जय जय पार्श्व हरे। 

जब चारों तरफ अंधियारा हो, आशा का दूर किनारा हो 
और कोई न खेवन हारा हो, तब तु ही बेड़ा पार करें 
जय जय जय पार्श्व हरे l

तू चाहे तो सब कुछ कर दें, विष को भी अमृत कर दें 
पूरण कर दे, उसकी आशा, जो भी तेरा नाम जपे रें 
जय जय जय पाश्र्व हरे l