सुबह और शाम की प्रभु जी के नाम की। 

फेरो एक माला, हो हो फेरो एक माला ॥ 

 

सकल सार नवकार मंत्र यह परमेष्ठि की माला, 

नरकादि दुर्गति का सचमुच जड़ देती है ताला, 

कर्मों का यह जाला मिटे तत्काला,

फेरो एक माला....॥१॥ 

 

सुदर्शन और सीता ने जब फेरी थी वह माला, 

सूली भी सिंहासन बन गई, शीतल हो गई ज्वाला,

शील जिसने भी पाला, सत्य है उसका रखवाला, 

फेरो एक माला.... ॥२॥ 

 

सुमरन करके सुव्रत ने भी नाग उठाया काला, 

महाभयंकर विषधारी था, वो बनी पुष्प की माला,

धर्म का यह प्याला, पीयो प्यारे लाला,

फेरो एक माला.... ॥३॥ 

 

बाल कुमारी राजदुलारी देखो चंदन बाला, 

दुःख भयंकर पाई फिर भी सिर मुंडा था भूला, 

तपस्या का तेला, सब दुःख टाला, 

फेरो एक माला.... ॥४॥

 

द्रौपदी का चीर बढ़ाया, दुशासन मद गाला, 

मैना सुंदरी श्रीपाल का जीवन बना विशाला, 

सुभद्रा ने तोला चम्पाद्वार खोला, 

फेरो एक माला.... ॥५॥  

 

समय बीतता जाये मित्रो, इसको सफल बनालो, 

सदगुरु के चरणों में आ परमेष्ठी ध्यान लगा लो, 

गुण गावे भोला, 'हरि ऋषि' बोला, फेरो एक माला ॥६॥