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जिया बेकरार है
जिया बेकरार है

 (तर्ज : जिया बेकरार है) 

 

कुशल कुशल दातार है, भक्तों का आधार है। 

कोई निराश न जावे ऐसा, दादा का दरबार है 

                                                                    ।। स्थायी।।

कुशलसूरि गुरुदेव आपकी, कीर्ति जग विख्यात है। 

इस कलियुग में अद्भुत ज्योति, प्रकट रही साक्षात् है। 

खरतरगच्छ श्रृंगार है, महिमा अपरम्पार है। 

                                                                      ॥कोई।।

गुरु चरणों की पूजा करने, लाखों पुजारी आते हैं। 

केशर चन्दन पुष्प सुगन्धी, नैवेद्यादि चढ़ाते हैं। 

पढ़ते पूजा पाठ हैं, वाद्य यंत्रों का ठाठ है 

                                                                       ॥कोई।।

जैन अजैन सभी आते हैं, दादा तेरे द्वार पर। 

मनोकामना पूरी होती, पेड़े लाते थाल भर। 

कुछ ऐसा चमत्कार है, सब करते नमस्कार हैं 

                                                                       ॥कोई।।

ज्ञान मण्डली चरण शरण में, विनती लेकर आई है,

'भक्तोंने गुरु चरणों में, अपनी अरदास सुनाई है। 

पूजा की बहार है, जयन्ती जय-जय-कार है।  

                                                                      ॥कोई।।

गुरु वंदना

गुरुदेव ! तुम्हे नमस्कार बार बार हैं

श्रीचरण शरण से हुआ, जीवन सुधार है ।।गुरुदेव।। 

 

अज्ञान - तम हटाके ज्ञान ज्योति जगा दी

दृढ आत्मज्ञान में अखण्ड दृष्टी लगा दी

उपदेश सदाचार सकल शास्त्र सार हैं ।।गुरुदेव ॥१॥ 

 

विधियुक्त सिर झुका के कर रहे हैं वंदना 

अब हो रही मंगलमयी सध्वाव स्पन्दना

माधुर्य से मिटा रही मन का विकार है ।।गुरुदेव ॥२॥

 

यह है मनोरथ नित्य रहे संत चरण में

अन्तिम समय समाधि मरण चार शरण में

यह 'सुर्यचन्द्र' मोक्ष मार्ग में विहार हैं ।।गुरुदेव ॥ ३॥ 

- Stavan Manjari