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महावीर प्रभु के निर्वाण की आरती

जय जय जिनराया, स्वामी जय जय जिनराया । 
आरति करूं मन भाया, होय कंचन काया ॥ जय जय ॥
जय जगदीश्वर, अति अलवेशर, वीर प्रभुराया 
पतितउधारण, भव भय भंजन, बोध बीज दाया ॥ जय 1॥ 

श्री गौतमस्वामी जी का रास

वीर जिणेसर चरण कमल, कमला कय वासो, 
पणमवि पभणिसुं सामीसाल, गोयम गुरु रासो 
मण तणु वयण एकंत करवि, निसुणहु भो भविया ॥ 
जिम निवसे तुम देह गेह गुण गण गहगहिया ॥ 1 ॥