नरेन्द्रं फणीन्द्रं सुरेन्द्रं अधीशं, शतेन्द्रं सु पूजैं भजै नाय शीशं...
तू मने भगवान एक वरदान आपी दे, ज्या वसे छे तु मने त्या स्थान आपी दे...
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे द्वार,यहां से गर जो हारा, कहां जाऊंगा सरकार ।