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नेम रस

नेम रस

संसार थी विरती रथ नो,
गिरनार थी मुक्ति पथ नो..(२)
सथवार छे एक मारो, 
आधार छे एक बस...
नेम..नेम..नेम...नेम रस..(४)

नेम तुं मारो प्रेम छे, 
सोंप्युं तने आ जीवन, 
जोई तने पहेलीज क्षणे, 
मोहायुं छे मारु मन ..(२)

गिरनारी ब्रह्मचारी, जाउं तुज पर हुं ओवारी,
मुक्तिनो वेशधारी, राजीमति बनुं तारी, 
भरथार तुं रेहजे मारो, भवोभवनी छे तरस, 
सथवार छे एक मारो, आधार छे एक बस...
नेम..नेम.नेम...नेम रस..(४)

गिरनार तो ए भूमि छे, 
ज्यां शिव वर्या जीव अनंत,
अरिहंत सिद्ध मुनि तर्या, 
धन्य बन्या साधु संत ..(२)

नेमि नो हाथ झाली, बनुं हुं प्रशम व्रतधारी,
रैवत नो साथ पामी, हवे बनवू मुक्तिगामी, 
प्रभु नेम नो गिरि हेम नो, मारे बनवू छे वारस, 
सथवार छे एक मारो, आधार छे एक बस...
नेम..नेम..नेम...नेम रस..(४)

Source - Nemras

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